'आपको आसमान के नीचे खड़े होकर हर किसी की आलोचना करने की आज़ादी है, जज के तौर पर हमें अनुशासन का पालन करना हैः सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे से कहा

Update: 2023-02-22 07:33 GMT

सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु से नौकरी के बदले नकद घोटाले से जुड़े मामलों की लिस्टिंग विवाद का विषय बन गई।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष एडवोकेट प्रशांत भूषण ने बुधवार को तत्काल लिस्टिंग के लिए मामले का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि सितंबर 2022 में जस्टिस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए डीएमके (DMK) विधायक सेंथिल बालाजी के खिलाफ आपराधिक आरोपों को बहाल कर दिया।

भूषण ने स्पष्ट किया कि न्यायालय ने आगे निर्देश दिया कि शेष समान मामलों में पुलिस को हाईकोर्ट द्वारा दिए गए स्थगन आदेश को वापस लेने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। ऐसा करने के बजाय पुलिस ने हाईकोर्ट के समक्ष नए सिरे से जांच के लिए सहमति व्यक्त की और हाईकोर्ट ने इसकी अनुमति देते हुए आदेश पारित किया, जिसे चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गईं।

इस मौके पर सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने मामले को सूचीबद्ध करने के संबंध में शिकायत करने के लिए हस्तक्षेप किया। सीनियर एडवोकेट के अनुसार, चूंकि कैश-फॉर-जॉब्स घोटाला मामले में पिछला आदेश जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर और जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन की खंडपीठ द्वारा पारित किया गया, इसलिए वर्तमान मामले को भी खंडपीठ के सदस्य जज, जस्टिस रामासुब्रमण्यन (जस्टिस नज़ीर सेवानिवृत्त हो चुके हैं) के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।

सीनियर एडवोकेट दवे ने कहा,

"हम सभी स्वीकार करते हैं कि माई लॉर्डशिप रजिस्ट्री कड़ी मेहनत कर रही है। रजिस्ट्री के सख्त नियम हैं कि एक ही फैसले से उत्पन्न कोई भी मामला उसी अदालत में आना चाहिए। लेकिन इन मामलों की सुनवाई किसी अन्य अदालत द्वारा की जा रही है।"

सीजेआई ने कहा,

"चूंकि आप शिकायत कर रहे हैं, मुझे इसे शाम को देखने दें। मेरे पास कागजात नहीं हैं।"

इस पर सीनियर एडवोकेट दवे ने आग्रह किया,

"इसे दूसरी बेंच को भेजा जा रहा है। आपकी रजिस्ट्री को नियमों का पालन करना चाहिए। यह नहीं हो सकता ..."

सीजेआई ने दवे से कहा,

"मि. दवे, रजिस्ट्री के खिलाफ आपके आरोपों में गैर-जिम्मेदार होना हमेशा आसान होता है। आपको आसमान के नीचे हर किसी की आलोचना करने की स्वतंत्रता है। इस न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में हमें कुछ अनुशासन का पालन करना है। मैं इसे देख कर इसका पालन कर रहा हूं। देखने के बाद ही इसे पीठ को सौंपेंगे।"

दवे ने स्पष्ट किया,

"न्यायपालिका के लिए मेरे मन में अत्यधिक सम्मान है। मैं खुद न्यायाधीश का बेटा हूं। मेरी आलोचना वस्तुनिष्ठ है, व्यक्तिपरक नहीं।"

सीजेआई ने उत्तर दिया,

"दवे, आपका आकलन कि आपकी आलोचना वस्तुनिष्ठ है, अपने आप में व्यक्तिपरक हो सकता है।"

दवे ने कहा,

"माई लॉर्ड दूसरी तरफ है, इसलिए माई लॉर्ड हमेशा ऐसा ही सोचेंगे।"

प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश होते हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि रोस्टर के मास्टर के पास बेंच नियुक्त करने का विशेषाधिकार है।

एसजी ने कहा,

"माई लॉर्ड जो भी तय करे, हमें उसे स्वीकार करना होगा।"

कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने प्रस्तुत किया कि मामला जस्टिस रामासुब्रमण्यन की पीठ के समक्ष जाना चाहिए, क्योंकि यह उनके फैसले से उत्पन्न हुआ है।

उन्होंने कहा,

"किसी तरह मामला जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ के सामने गया। आप इस मुद्दे को हल कर सकते हैं।"

सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा,

"यह किसी भी बेंच में जाता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह के विवाद अदालत के सामने आते हैं। हो सकता है कि कहीं और जाना सबसे अच्छा हो, जिससे किसी को कोई समस्या न हो।"

सीजेआई ने आश्वासन दिया कि वह उन बेंचों को देखने के बाद एक बेंच नियुक्त करेंगे, जो पहले इस मामले को देख चुकी हैं।

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