CJI के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप : शिकायतकर्ता जांच पैनल के समक्ष पेश हुई, अगली सुनवाई 29 अप्रैल को
भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मी शुक्रवार को उसकी शिकायत की जांच करने के लिए गठित इन-हाउस पूछताछ पैनल के सामने पेश हुई।
पीड़ित महिला हुई पैनल के सामने पेश
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि जस्टिस एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय पैनल ने सुप्रीम कोर्ट से बाहर पहली इन-चैंबर सुनवाई आयोजित की जिसमें उक्त महिला के अलावा सुप्रीम कोर्ट के सेकेट्री जनरल भी पहुंचे थे।
सूत्र ने कहा कि जस्टिस बोबडे, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी के समक्ष सेकेट्री जनरल ने तमाम दस्तावेजों और सामग्रियों को रखा। हालांकि वो मामले की सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं थे।
इस दौरान करीब 2 घंटे तक महिला का बयान रिकार्ड किया गया। यहां तक कि उनके साथ मौजूद महिला वकील को भी इस कार्रवाही से बाहर रखा गया। 29 अप्रैल को एक बार फिर ये सुनवाई आयोजित की जाएगी। सूत्र ने यह भी कहा कि कार्यवाही लगभग 3 घंटे तक चली। ये दोपहर 12.30 बजे शुरू हुई, जो दिन में लगभग 3.30 बजे तक चली।
पैनल के सदस्य
इससे पहले इन आरोपों की इन-हाउस जांच कराने के लिए मंगलवार को जस्टिस बोबड़े की अध्यक्षता में एक पैनल गठित किया गया था। गुरुवार शाम को इस पैनल में जस्टिस इंदु मल्होत्रा को शामिल किया गया। इस पैनल में जस्टिस बोबड़े के साथ जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी भी हैं।
पैनल में जस्टिस रमना की मौजूदगी पर हुई थी आपत्ति
बुधवार को CJI के खिलाफ आरोप लगाने वाली पूर्व महिला कर्मचारी ने इन-हाउस पैनल में जस्टिस रमना को शामिल करने पर अपनी आपत्ति जताई थी और दावा किया था कि वह CJI के निवास पर लगातार आते- जाते हैं और CJI के 'करीबी दोस्त' हैं। वो CJI के लिए एक परिवार के सदस्य की तरह हैं।
महिला कर्मी ने यह भी कहा था कि 20 अप्रैल को जिस दिन उसका हलफनामा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को भेजा गया था, उस दिन हैदराबाद में बोलते हुए जस्टिस रमना ने उसके आरोपों को खारिज कर दिया था। गुरुवार को जस्टिस रमना ने खुद को पैनल से अलग कर लिया था।
जस्टिस रमना ने पत्र लिखकर पैनल से खुदको किया अलग
जस्टिस रमना ने जस्टिस बोबडे को लिखे पत्र में कहा, "यह शिकायत की असाधारण प्रकृति और विकसित होती परिस्थितियाँ हैं जिनके तहत मैं खुद को इस पैनल से अलग कर कहा हूं ना कि शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए आधार पर। मेरा खुद को अलग करना राष्ट्र के लिए एक स्पष्ट संदेश होना चाहिए कि इसके बारे में कोई आशंका नहीं होनी चाहिए कि हमारे संस्थान में ईमानदारी है और हम अपने ऊपर बने विश्वास की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने से परहेज नहीं करेंगे।"
क्या है यह पूरा मामला?
दरअसल CJI के खिलाफ महिला के आरोपों को 20 अप्रैल को कुछ समाचार वेब पोर्टलों द्वारा सार्वजनिक डोमेन में लाया गया था। महिला ने दिल्ली में जस्टिस गोगोई के आवास कार्यालय में काम किया था और उन आरोपों को समाचार एजेंसियों द्वारा उसके हलफनामे के आधार पर लिया गया जो 22 जजों को भेजे गए थे।
अपने हलफनामे में महिला ने कथित रूप से उत्पीड़न की 2 घटनाओं का वर्णन किया है, जब जस्टिस गोगोई को पिछले साल अक्टूबर में CJI नियुक्त किया गया। महिला ने आरोप लगाया कि जब उसने CJI की "यौन इच्छाओं" से इनकार किया तो उसे सेवा से हटा दिया गया था। उसने दावा किया कि उसके पति और रिश्तेदार, जो दोनों कांस्टेबल थे, वर्ष 2012 के एक आपराधिक मामले के चलते निलंबित कर दिए गए थे जबकि उस मामले में समझौता हो चुका थ