CBI Vs CBI : दिल्ली हाईकोर्ट ने CBI स्पेशल डायरेक्टर अस्थाना के खिलाफ FIR रद्द करने से इनकार किया
CBI Vs CBI मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सीबीआई स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत के एक मामले में दर्ज की गयी FIR को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी।
जस्टिस नजमी वजीरी ने ये फैसला सुनाते हुए कहा कि एक लोक सेवक पर एफआईआर होना गंभीर मामला है। इस मामले में जो आरोप लगाए गए हैं उनकी जांच होनी चाहिए। कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले में दस सप्ताह के अंदर जांच पूरी करने के निर्देश दिए हैं और अस्थाना को गिरफ्तारी से दिया सरंक्षण भी वापस ले लिया है।
कोर्ट ने अस्थाना के साथ सह-आरोपी डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ भी केस खारिज करने से इनकार कर दिया।
जस्टिस नजमी वजीरी ने 20 दिसंबर 2018 को कई याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान सीबीआई, केंद्र सरकार, राकेश अस्थाना, डीएसपी देवेंद्र कुमार, आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक ए. के. शर्मा के वकीलों ने पैरवी की थी। अस्थाना ने रिश्वतख़ोरी के आरोपों में अपने खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की मांग की थी।
दरअसल शिकायतकर्ता हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू सना ने आरोप लगाया था कि उसने एक मामले में राहत पाने के लिये अस्थाना को रिश्वत दी थी। इसके बाद सीबीआई ने अस्थाना व अन्य के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत FIR दर्ज की। राकेश अस्थाना ने अपनी याचिका में कहा था कि तत्कालीन सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा ने उन पर जो केस दर्ज किया था, उसमें कानूनी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई और इसकी धारा 17 ए के तहत प्राधिकरण से पहले अनुमति नहीं ली गई।
वहीं आलोक वर्मा ने कोर्ट को बताया था कि FIR दर्ज़ करते वक्त पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया था और इसके लिए कोई अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। दरअसल कारोबारी सतीश सना से रिश्वत लेने के मामले में 15 अक्टूबर को राकेश अस्थाना के अलावा डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गयी थी। सीबीआई ने डीएसपी देवेंद्र कुमार को 22 अक्टूबर को गिरफ़्तार किया था और फिलहाल वो जमानत पर हैं।