NEET-JEE : छह राज्यों के कैबिनेट मंत्रियों ने परीक्षा स्थगित करने की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की

Cabinet Ministers From 6 States File Review In SC Against Dismissal Of Pleas To Postpone Exams

Update: 2020-08-28 07:42 GMT

सितंबर में होने वाली NEET-JEE परीक्षा स्थगित करने की याचिकाओं को खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के 17 अगस्त के आदेश के खिलाफ छह राज्यों के छह कैबिनेट मंत्रियों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है।

एडवोकेट सुनील फर्नांडिस के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट का 17 अगस्त का आदेश "NEET / JEE परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों / उम्मीदवारों की सुरक्षा और उनके जीवन के अधिकार को सुरक्षित करने में विफल है।

यह आगे कहा गया है कि

"सुप्रीम कोर्ट के उक्त आदेश में "प्रस्तावित तारीखों में परीक्षाओं का संचालन करने में तार्किक कठिनाइयों को नजरअंदाज किया गया है" और साथ ही यह आदेश "छात्रों को परीक्षा देने और सुरक्षा हासिल करने के महत्वपूर्ण पहलुओं को संतुलित करने में विफल रहा।"

याचिकाकर्ताओं में मोलोय घटक (मंत्री-प्रभारी, श्रम और ईएसआई (एमबी) योजना और कानून और न्यायिक विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार), डॉ. रामेश्वर उरांव (कैबिनेट मंत्री, झारखंड सरकार), डॉ. रघु शर्मा (कैबिनेट मंत्री स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, राजस्थान सरकार), अमरजीत भगत (खाद्य, नागरिक आपूर्ति, संस्कृति, योजना, अर्थशास्त्र और सांख्यिकी, छत्तीसगढ़ सरकार), बलबीर सिंह सिद्धू (कैबिनेट मंत्री स्वास्थ्य और परिवार कल्याण) और श्रम, पंजाब सरकार), और उदय रवींद्र सामंत (उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री, महाराष्ट्र सरकार) शामिल हैं।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2020 में होने वाली राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) स्थगित करने की याचिका खारिज कर दी थी।

पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा था कि परीक्षा स्थगित करने से छात्रों का करियर संकट में आ जाएगा। जस्टिस अरुण मिश्रा ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था,

" जीवन को COVID-19 में भी आगे बढ़ना चाहिए। क्या हम सिर्फ परीक्षा रोक सकते हैं? हमें आगे बढ़ना चाहिए।"

जस्टिस मिश्रा ने पूछा था,

"अगर परीक्षा नहीं हुई तो क्या यह देश के लिए नुकसान नहीं होगा? छात्र शैक्षणिक वर्ष खो देंगे।" जस्टिस मिश्रा ने कहा था, "क्या आप यह मांग नहीं कर रहे हैं कि न्यायालय को फिर से खोलना चाहिए? फिर परीक्षा को सावधानी से क्यों नहीं आयोजित किया जा सकता है?"

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने NTA की ओर से पेश होकर कहा था कि परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए और पर्याप्त सावधानी बरती जाएगी।

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