भीमा कोरेगांव हिंसा : नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत, गिरफ्तारी से संरक्षण बरकरार रहेगा
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत मिल गयी है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से यह कहा है कि जब तक कोर्ट मामले की सुनवाई कर रहा है, नवलखा के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को यह कहा है कि नवलखा को लेकर जो भी तथ्य हैं, उन्हें अदालत के सामने पेश करे। तब तक हाई कोर्ट का संरक्षण जारी रहेगा। पीठ अब इस मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर को करेगी।
नवलखा की अदालत के समक्ष दलीलें
इस दौरान नवलखा की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने यब कहा कि नवलखा किसी भी प्रतिबंधित संगठन से जुड़े नहीं हैं और ना ही हिंसा में उनकी कोई भूमिका है। यहां तक कि FIR में उनका नाम नहीं है। हाई कोर्ट ने अगस्त 2018 से उनको गिरफ्तारी से संरक्षण दिया है। वो हिंसा के खिलाफ हैं, और उनके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं है।
हालांकि जब पीठ ने कहा कि वो अग्रिम जमानत के लिए अर्जी क्यों नहीं देते तो सिंघवी ने इसपर कहा कि अदालत उन्हें संरक्षण दे दे तो वो अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल कर सकते हैं। गौरतलब है कि नवलखा ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के 13 सितंबर के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें FIR रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाया था कि गौतम नवलखा के खिलाफ बनता है प्रथम दृष्टया मामला
दरअसल बॉम्बे उच्च न्यायालय ने नवलखा के खिलाफ 1 जनवरी 2018 को पुणे पुलिस द्वारा दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया था। गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने अतिरिक्त लोक अभियोजक अरुणा पई द्वारा सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत दस्तावेज का हवाला देते हुए यह कहा था कि 65 वर्षीय एक्टिविस्ट के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
पुलिस ने यह दावा किया कि उसके पास माओवादी साजिश में नवलखा की 'गहरी संलिप्तता' के सबूत हैं। अदालत ने यह भी कहा था कि अपराध भीमा-कोरेगांव हिंसा तक सीमित नहीं है इसमें कई पहलू हैं। इसलिए हमें जांच की जरूरत लगती है।
क्या है नवलखा के खिलाफ मामला
दरअसल एल्गार परिषद द्वारा 31 दिसंबर 2017 को पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में कार्यक्रम के एक दिन बाद कथित रूप से हिंसा भड़क गई थी। पुलिस का यह आरोप है कि मामले में नवलखा और अन्य आरोपियों का माओवादियों से लिंक था और वे सरकार को उखाड़ फेंकने की दिशा में काम कर रहे थे।