Bhima Koregaon Case: सुप्रीम कोर्ट ने महेश राउत की अंतरिम ज़मानत 26 नवंबर तक बढ़ाई
सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले के आरोपी महेश सीताराम राउत की अंतरिम ज़मानत 26 नवंबर तक बढ़ाई। उन्हें कथित माओवादी संबंधों के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया।
राउत को 16 सितंबर को जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने मेडिकल आधार पर छह सप्ताह की अवधि के लिए ज़मानत दी। इसी खंडपीठ ने गुरुवार को उनकी अंतरिम मेडिकल ज़मानत बढ़ा दी। जून 2018 में गिरफ्तारी के बाद से राउत हिरासत में हैं।
इससे पहले, सीनियर एडवोकेट सी.यू. सिंह (राउत की ओर से) ने दलील दी कि वह रुमेटॉइड आर्थराइटिस से पीड़ित हैं, जो स्व-प्रतिरक्षी विकार है, जो हड्डियों और मांसपेशियों पर हमला करता है।
राउत को बॉम्बे हाईकोर्ट ने 21 सितंबर, 2023 को गुण-दोष के आधार पर ज़मानत दी थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जांच प्राधिकरण (NIA) को अपील दायर करने के लिए एक सप्ताह के लिए आदेश पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद NIA ने अदालत में अपील दायर की, जिसे जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की खंडपीठ ने स्वीकार की और हाईकोर्ट द्वारा दी गई एक सप्ताह की रोक को 5 अक्टूबर, 2023 तक बढ़ा दिया। तब से रोक को समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है।
राउत के साथ सह-आरोपी ज्योति जगताप का मामला भी इसी खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध है। जगताप एक्टिविस्ट और सांस्कृतिक संगठन 'कला कबीर मंच' की सदस्य और 16 अन्य पर NIA ने पुणे के भीमा कोरेगांव में हुई जातीय हिंसा के लिए ज़िम्मेदार होने का आरोप लगाया।
पुणे पुलिस (और बाद में NIA) ने तर्क दिया कि एल्गर परिषद–कोरेगांव भीमा युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में दिए गए भड़काऊ भाषणों ने महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव गांव के पास मराठा और दलित समूहों के बीच हिंसक झड़पों को जन्म दिया। इसके परिणामस्वरूप, हिंसा की साजिश रचने और योजना बनाने के आरोप में 16 एक्टिविस्ट को गिरफ्तार किया गया। उन पर मुख्य रूप से उनके इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से प्राप्त पत्रों और ईमेल के आधार पर UAPA के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए।
फरवरी, 2022 में स्पेशल NIA कोर्ट ने जगताप की जमानत याचिका खारिज की, जिसे बाद में अक्टूबर में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा। उनकी याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने कहा कि कबीर कला मंच के नाटकों के संवाद, जिनमें 'राम मंदिर', 'गोमूत्र' और 'अच्छे दिन' जैसे शब्दों/वाक्यांशों का उपहास किया गया– जो लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार पर लक्षित है– नफरत भड़काते है और एक बड़ी साजिश का संकेत देते हैं।
Case Details: THE NATIONAL INVESTIGATION AGENCY v MAHESH SITARAM RAUT AND ANR.|Crl.A. No. 3048/2023