भीमा कोरेगांव हिंसा : बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवलखा को पुणे की अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल करने को कहा, जल्द निपटारा करने के निर्देश

Update: 2019-11-04 17:17 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को कहा है कि वो पुणे की स्पेशल कोर्ट में अपनी अग्रिम जमानत याचिका दाखिल करने को कहा है।

हाईकोर्ट ने स्पेशल कोर्ट को भी निर्देश दिया है कि वो जल्द से जल्द याचिका का निपटारा करे। पीठ ने पुणे पुलिस को भी कहा है कि वो अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुनवाई को ना टालें। पुलिस के मुताबिक नवलखा का सरंक्षण 12 नवंबर को खत्म हो रहा है।

इससे पहले 15 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए चार हफ्ते के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण बढ़ा दिया था। पीठ ने कहा था कि इस अवधि के दौरान वो संबंधित अदालत में अग्रिम जमानत के लिए प्रयास कर सकते हैं। इसके बाद पीठ ने मामले का निस्तारण कर दिया था।

याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने साफ कहा था कि इस चरण पर किसी भी सूरत में FIR रद्द नहीं की जा सकती।

वहीं नवलखा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि पुलिस ने आज तक उन्हें पूछताछ के लिए नहीं बुलाया है और ना ही उनका FIR में नाम है। इस मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन पीठ ने कहा कि वो अग्रिम जमानत याचिका दाखिल कर सकते हैं। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने सील कवर में जांच रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश की थी।

दरअसल चार अक्तूबर को याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को कहा है कि वो नवलखा को लेकर जो भी तथ्य हैं, उन्हें अदालत के सामने पेश करे। तब तक हाई कोर्ट का संरक्षण जारी रहेगा।

नवलखा ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के 13 सितंबर के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें FIR रद्द करने से इनकार कर दिया गया था। दरअसल उच्च न्यायालय ने नवलखा के खिलाफ 1 जनवरी 2018 को पुणे पुलिस द्वारा दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया था। गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट में

न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने अतिरिक्त लोक अभियोजक अरुणा पई द्वारा सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत दस्तावेज का हवाला देते हुए कहा था कि 65 वर्षीय एक्टिविस्ट के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है पुलिस ने दावा किया था कि उनके पास माओवादी साजिश में नवलखा की 'गहरी संलिप्तता' है।  अदालत ने कहा, अपराध भीमा-कोरेगांव हिंसा तक सीमित नहीं है इसमें कई पहलू हैं । इसलिए हमें जांच की जरूरत लगती है। हालांकि पीठ ने नवलखा को सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए तीन सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से सरंक्षण दे दिया था।

दरअसल एल्गार परिषद द्वारा 31 दिसंबर 2017 को पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में कार्यक्रम के एक दिन बाद कथित रूप से हिंसा भड़क गई थी । पुलिस का आरोप है कि मामले में नवलखा और अन्य आरोपियों का माओवादियों से लिंक था और वे सरकार को उखाड़ फेंकने की दिशा में काम कर रहे थे।

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