बीमा पॉलिसी के लाभार्थी भी 'उपभोक्ता', भले ही वो पार्टी न होंः सुप्रीम कोर्ट

Update: 2020-02-07 03:29 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीमाधारक द्वारा ली गई बीमा पॉलिसी के लाभार्थी भी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत 'उपभोक्ता' हैं, भले ही वे बीमा अनुबंध के पक्षकार न हों।

इस मामले में, किसानों ने श्रीदेवी कोल्ड स्टोरेज नामक एक साझेदारी फर्म के तहत संचालित कोल्ड स्टोर में अपनी उपज का भंडारण किया था। कोल्ड स्टोरेज फर्म का बीमा यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के साथ किया गया था। राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी द्वारा कोल्ड स्टोर के दावे को निरस्त करने के खिलाफ किसानों द्वारा दायर शिकायतों के मामले में राहत दी थी।

बीमा कंपनी द्वारा दायर अपील में तर्क दिया गया था कि किसानों और बीमा कंपनी के बीच अनुबंध का कोई संबध नहीं है क्योंकि पॉलिसी कोल्ड स्टोरेज फर्म द्वारा ली गई थी, न कि किसानों द्वारा नहीं, इसलिए उन्हें 'उपभोक्ता' नहीं कहा जा सकता है

अधिनियम की धारा 2 (डी) के तहत 'उपभोक्ता' की परिभाषा का उल्लेख करते हुए, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि अधिनियम के तहत उपभोक्ता की परिभाषा बहुत व्यापक है और इसमें केवल वह व्यक्ति ही शामिल नहीं है, जो सेवा खरीदता है या सेवाओं का लाभ उठाता है, बल्‍कि इसमें ऐसे लाभार्थी भी शामिल होते हैं, जो उस व्यक्ति, जिसने सेवाएं खरीदी हैं या प्राप्त की हैं, के अलावा अन्य व्यक्ति हो सकते हैं।

कोर्ट ने कहा-

"धारा 2 (डी) के तहत उपभोक्ता की परिभाषा 2 भागों दी गई में है। धारा 2 (1)(d) का उपखंड (i) ऐसे व्यक्ति से संबंधित है, जो किसी सामान को खरीदता है, साथ ही वह व्यक्ति भी शामिल है, जो सामान का उपयोगकर्ता है, जब तक कि उस व्यक्ति ने, जिसने सामान खरीदा है, उसने सामान के उपयोग की स्व‌ीकृति दी हुई है।

इसलिए, भाग 1 में भी उपभोक्ता की परिभाषा न केवल वह व्यक्ति शामिल है, जिसने सामान खरीदा है, बल्कि वह व्यक्ति भी शामिल है, जो उपयोगकर्ता है, जब तक कि उसे उपयोग की अनुमति प्राप्त है। जहां तक ​​सेवाओं को किराए पर लेने या प्राप्त करने के संबंध में उपभोक्ता की परिभाषा का संबंध है, हमारे विचार में यह बहुत व्यापक है। अनुभाग के इस भाग में उपभोक्ता न केवल वह व्यक्ति है, जिसने सेवाओं को किराए पर लिया है या उसका लाभ लिया है, बल्कि ऐसी सेवाओं का कोई भी लाभार्थी भी शामिल है।

इसलिए, एक बीमाधारक वह व्यक्ति तो हो ही सकता है, जो बीमा कंपनी की सेवाओं को किराए पर लेता है या प्राप्त करता है, बल्‍कि कई अन्य व्यक्ति भी हो सकते हैं, जो सेवाओं के लाभार्थी हो सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि वे लाभार्थी बीमा के अनुबंध के पक्षकार हों।"

बेंच ने माना कि 'उपभोक्ता' की परिभाषा में लाभार्थी भी शामिल हैं, जो बीमाधारक द्वारा लिए गए बीमा का लाभ ले सकते हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम स्पष्ट रूप करता है कि बीमित व्यक्ति के अलावा अन्य सेवाओं का लाभार्थी अधिनियम के तहत एक उपभोक्ता है।

बीमा कंपनी द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि बीमा पॉलिसी के तहत बीमा कंपनी कोल्ड स्टोर की क्षतिपूर्ति करने के लिए उत्तरदायी है और चूंकि किसान बीमा के लाभार्थी हैं, इसलिए वे देय राशि पाने के हकदार हैं।

केस का नाम: कैनरा बैंक बनाम यूनाइटेड इंस्योरेंश बीमा कंपनी लिमिटेड

केस नं : CIVIL APPEAL NO 1042 OF 2020

कोरम: जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस दीपक गुप्ता

अपीलकर्ता के लिए वकील: सीनियर एडवोकेट पीपी मल्होत्रा

प्रतिवादी के लिए वकील: सीनियर एडवोकेट डॉ राजीव धवन, गोपाल शंकरनारायणन, सजन पूवैय्या और ध्रुव मेहता

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