SC/ST एक्ट के प्रावधानों को लागू करने से पहले पुलिस को सतर्क रहना होगा: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2023-05-16 07:27 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट जैसे कड़े कानूनों के प्रावधानों को लागू करने से पहले पुलिस अधिकारियों को सतर्क रहना चाहिए। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच एससी-एसटी एक्ट से जुड़े एक मामले पर सुनवाई कर रही थी।

बेंच ने कहा- अधिकारी को इस बात से संतुष्ट होना चाहिए कि जिन प्रावधानों को वो प्रथम दृष्टया लागू करना चाहता है, वे इस मामले में लागू होते हैं।

बेंच ने ये भी साफ कहा कि ये टिप्पणियां इस तरह के कानूनों की प्रयोज्यता को कम करने के लिए नहीं की गई हैं, बल्कि केवल पुलिस को ये याद दिलाने के लिए हैं कि उन्हें इस तरह के कानूनों को लागू करते समय सर्तक रहना चाहिए।

मामले में आरोपी के खिलाफ शिकायत के आधार पर एससी-एसटी एक्ट के तहत FIR दर्ज की गयी थी। आरोपी ने FIR रद्द करने की मांग करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट का रूख किया था। हालांकि हाईकोर्ट ने FIR रद्द करने से इनकार कर दिया था। इसके खिलाफ आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

कोर्ट ने शिकायत और एफआईआर को देखा और कहा- ये स्पष्ट नहीं है कि आरोपी ने SC/ST एक्ट के तहत कोई अपराध किया है। शिकायत और FIR, दोनों तुच्छ और परेशान करने वाली हैं।

आगे कहा- इसलिए एससी-एसटी एक्ट जैसे कड़े कानूनों के प्रावधानों को लागू करने से पहले पुलिस अधिकारियों को सतर्क रहना चाहिए। क्योंकि इसका आरोपी पर गंभीर दंडात्मक परिणाम पड़ता है।

कोर्ट एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्ट गुलाम मुस्तफा की अपील पर सुनवाई कर रहा था। वेंकटेश नामक के एक व्यक्ति ने गुलाम मुस्तफा के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी।

गुलाम मुस्तफा ने बताया कि कंपनी ने संपत्ति को लेकर एक ज्वाइंट एग्रीमेंट किया था। इसके बाद उसके खिलाफ शिकायत की गई थी। वैसे भी ये विवाद दीवानी प्रकृति का है। आरोप है कि उनकी जमीन के पुराने सर्वे नंबर से जुड़ी जमीन के नए सर्वे नंबर में समानता का फायदा उठाकर शिकायत दर्ज कराई गई।

इस पर कोर्ट ने कहा- इस मुद्दे पर दीवानी मुकदमे लंबित हैं और ये दुर्भावनापूर्ण प्रतीत होता है।

कोर्ट ने इस पर भी गौर किया कि जमीन के डेवलप होने और अपार्टमेंट बेचे जाने के बाद ही विवाद शुरू हुआ। कोर्ट ने कहा कि अगर ये जमीन शिकायतकर्ता और उसके परिवार की थी, तो इतने लंबे समय से वो चुपचाप होकर मामले को क्यों देखते रहे।

केस टाइटल: गुलाम मुस्तफा बनाम कर्नाटक राज्य | 2023 लाइवलॉ (SC) 421 | सीआरए 1452 ऑफ 2023 | 10 मई 2023 |

कोरम: जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और अहसानुद्दीन

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:




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