स्वायत्त निकायों के कर्मचारियों को नहीं दी जा सकती केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के समान पेंशन : दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2019-11-02 06:28 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने माना है कि स्वायत्त निकायों के कर्मचारियों के साथ ( जिनको सरकार द्वारा वित्तीय सहायता दी जाती हैं) पेंशन के मामले में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के समान व्यवहार नहीं किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति मुरलीधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ ने माना है कि सिविल सेवा नियमों के तहत पेंशन का लाभ वित्त मंत्रालय की सहमति के बिना स्वायत्त निकायों को नहीं दिया जा सकता।

वर्तमान मामले में, दो रिट याचिकाएं थीं, जिनमें न्यायालय के समक्ष समान मुद्दा था कि केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 का स्वायत्त निकायों (एबी) पर लागू होने के संबंध में क्या रूल है?

"स्वायत्त निकायों के पास पहले से ही अपनी स्वयं की पेंशन योजनाएं"

मामले में दो याचिकाकर्ताओं, वित्त मंत्रालय और सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने तर्क दिया था कि सरकार द्वारा एबी का गठन सरकारी कार्यों से संबंधित गतिविधियों का निर्वहन करने के लिए किया जाता है, लेकिन उन्हें इस बात की स्वायत्तता दी जाती है कि वह यह सब गतिविधि अपने स्वयं तय किए गए मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशंस/रूल्स आदि अनुसार कर सकते हैं, इसलिए, उनके कर्मचारियों को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के समान नहीं माना जा सकता।

याचिकाकर्ता द्वारा यह भी तर्क दिया गया था कि इन स्वायत्त निकायों के पास पहले से ही अपनी स्वयं की पेंशन योजनाएं हैं। वहीं अगर इनके कर्मचारियों को सिविल सेवा (पेंशन) नियमों का लाभ दिया गया तो इससे सरकारी खजाने पर अच्छा-खासा आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा।

याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि प्रतिवादी संस्थान के कर्मचारियों को अंशदायी भविष्य निधि यानि पीपीएफ योजना के लाभ की पात्रता की शर्त के साथ नियुक्त किया गया था। इसलिए, वे अपने अधिकार के तौर पर सीपीएफ योजना से जीपीएफ-कम-पेंशन योजना के रूप में स्थानांतरित करने का दावा नहीं कर सकते हैं।

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



Tags:    

Similar News