बीसीआई ने इंटरमीडिएट सेमेस्टर में लॉ स्टूडेंट्स के मूल्यांकन की पद्धति तय करने के लिए विशेषज्ञ समिति बनाई
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच इंटरमीडिएट सेमेस्टर में लॉ स्टूडेंट्स के मूल्यांकन की पद्धति तय करने के लिए 12 सदस्यों वाली एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।
समिति की अध्यक्षता इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविंद माथुर करेंगे।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने कहा, ''इस साल बार काउंसिल ऑफ इंडिया का प्रमुख विचार इस मामले को संबंधित विश्वविद्यालयों पर छोड़ देने और उन्हें विश्वविद्यालय और छात्रों की सुविधा और स्थिति को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने में सक्षम बनाना है।''
पूरे देश से लॉ स्टूडेंट्स से काउंसिल को प्राप्त कई अनुरोधों और प्रो. (डॉ.) वंदना, डीन, विधि संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा किए गए विशिष्ट प्रश्नों के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है।
सुश्री वंदना ने बीसीआई से पूछा था कि क्या इस संबंध में निकाय द्वारा कोई सामान्य/विशिष्ट निर्देश जारी किए गए हैं या केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्थित कानून विभागों के लिए कुछ भी पाइपलाइन में है।
बीसीआई ने बताया कि उन्होंने इंटमीडिएट सेमेस्टर या लाॅ के अंतिम सेमेस्टर के छात्रों के लिए परीक्षा आयोजित करने के संबंध में कोई दिशानिर्देश जारी नहीं करने का फैसला किया था,खासतौर पर इस तथ्य को देखते हुए कि पिछले साल उनके द्वारा जारी दिशानिर्देशों को अदालतों में चुनौती दी गई थी और कुछ विश्वविद्यालय चाहते थे कि वह दिशानिर्देशों को मानने की बजाय परीक्षा आयोजित करने के लिए अपना स्वयं का प्रोटोकॉल अपनाएं।
हालांकि, बीसीआई कार्यालय में हो रही पूछताछ के मद्देनजर, यह निर्णय लिया है कि विख्यात शिक्षाविदों/कुलपतियों की एक उच्च स्तरीय समिति गठित की जाए और इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने और इंटरमीडिएट सेमेस्टर में लॉ स्टूडेंट्स की परीक्षा/मूल्यांकन और पदोन्नति के लिए एक सहमति-जन्य मोड का सुझाव देने का अनुरोध किया जाए।
दिल्ली कोर्ट ने भी इस घटनाक्रम पर संज्ञान लिया है और कहा है कि विशेषज्ञ समिति एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट बीसीआई को सौंप देगी, जिस पर बीसीआई अंतिम निर्णय लेगी।