BCI ने अशोक अरोड़ा को सचिव पद से हटाने के SCBA के फैसले पर रोक लगाई, दुष्यंत दवे ने फैसले का गैरकानूनी बताया

Update: 2020-05-12 06:25 GMT

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के उस फैसले पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है, जिसके तहत एसोसिएशन के सचिव श्री अशोक अरोड़ा को पद से निलंबित कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने श्री अशोक अरोड़ा को 8 मई को सचिव पद से हटाने का फैसला किया था।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया का यह कदम असाधारण माना जा रहा है, क्योंकि बीसीआई आमतौर पर एससीबीए, या किसी भी बार एसोसिएशन के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता है। बार काउंसिल ऑफ इं‌डिया ने अपने संकल्प में कहा था कि मौजूदा स्थिति ने कई सदस्यों को व्यथित और निराश कर दिया है।

बार काउंसिल ऑफ इं‌डिया ने सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में SCBA को याद दिलाया है कि इस प्रकार की घटना का देश भर के बार एसोसिएशनों के कामकाज पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। प्रस्ताव में कहा गया है कि कि अगर 8 मई के प्रस्ताव को जारी रखा जाता है तो SCBA के एक चुने हुए पदाधिकारी को असाध्य क्षति होगी।

"आम तौर पर परिषद किसी भी बार एसोसिएशन के कामकाज हस्तक्षेप करने से बचती है। मगर, यहां एक चरम मामला है, जहां परिषद को नोटिस लेना जरूरी लगा है, हालांकि, ‌फिर भी, परिषद ने मामले की मेर‌िट की जांच करना या सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के मामलों में हस्तक्षेप करना उचित नहीं समझा है। लेकिन, इस मुद्दे का देश के बार एसोसिएशनों के कामकाज पर दूरगामी प्रभाव पड़ना है।"

8 मई को श्री अरोड़ा ने SCBA के सचिव पद से निलंबित होने के तुरंत बाद, उन्होंने एसोस‌िएशन के अध्‍यक्ष श्री दुष्यंत दवे और कार्यकारी समिति के कामकाज पर सवाल उठाया ‌था। बीसीआई ने 11 मई की बैठक में उन सवालों की चर्चा की।

चूंकि BCI अध्यक्ष श्री मनन कुमार मिश्रा SCBA के वोटिंग मेंबर हैं, इसलिए उन्होंने इस चर्चा में भाग नहीं लिया है। बैठक की अध्यक्षता अध्यक्षता BCI उपाध्यक्ष, श्री सतीश ए देशमुख ने की।

काउंसिल ने कहा कि वे 8 मई की घटनाओं से 'बेहद दुखी और चिंतित हैं', जिसके तहत SCBA की कार्यकारी समिति ने श्री अरोड़ा को निलंबित करने का निर्णय लिया था। काउंसिल ने निलंबन को "अवैध, अलोकतांत्रिक और निरंकुश" कहा।

SCBA अध्यक्ष ने बीसीआई की आलोचना की

SCBA अध्यक्ष, वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने बीसीआई के फैसले की आलोचना की है।

उन्होंने कहा, "बीसीआई का कथित आदेश गैरकानूनी, अनधिकृत, और विकृत है। यह SCBA ही नहीं, पूरे देश की बार एसोसिएशनों ‌की स्वतंत्रता पर हमला है। बीसीआई का उन बार एसोसिएशनों पर कोई पर्यवेक्षण अधिकार क्षेत्र या नियंत्रण नहीं है, जो कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 द्वारा संचालित नहीं हैं। ....

यह आदेश अधिनियम की धारा 7 के दायरे से बाहर है, जो बीसीआई के कार्यों को परिभाषित और सीमित करता है। आदेश का कोई आधार नहीं है। वास्तव में यह किसी सम्मान के लायक भी नहीं है और इसे SCBA इसे अनदेखा कर देगी।"

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