सीबीआई के वकील के पेश नहीं होने के कारण 78 वर्षीय व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से शीघ्रता से मामले का निपटान करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे मामले में जहां सीबीआई के वकील के पेश न होने के कारण हाईकोर्ट द्वारा 78 वर्षीय व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं होने पर बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत आवेदन का शीघ्रता से अधिमानतः छह सप्ताह की अवधि के भीतर निपटान करने का अनुरोध किया।
भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमाना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने यह देखते हुए निर्देश जारी किया कि याचिकाकर्ता 78 वर्ष का है और प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित है।
खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि यदि सीबीआई के वकील सुनवाई की अगली तारीख पर पेश नहीं होते हैं तो भी हाईकोर्ट आगे बढ़ते हुए याचिकाकर्ता द्वारा दायर जमानत के आवेदन को कानून के अनुसार निपटाया जा सकता है।
वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता की मुख्य शिकायत यह है कि उसके द्वारा दायर की गई जमानत याचिका को 15 बार हाईकोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध किया जा चुका है, लेकिन केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के वकील के उपस्थित न होने के कारण उस पर सुनवाई नहीं हुई।
पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें याचिकाकर्ता की पैरोल/अल्पकालिक जमानत याचिका का निपटारा करने के लिए जेल अधीक्षक को जयपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से उसकी जांच कराने का निर्देश दिया गया था।
याचिकाकर्ता द्वारा पैरोल आवेदन इस आधार पर दायर किया गया कि वह पिछले तीन वर्षों से प्रोस्टेट कैंसर के साथ-साथ मूत्र प्रतिधारण से पीड़ित है और प्रोस्टेट कैंसर के कारण उसे कुछ जटिलताएं हैं, जैसे उच्च रक्तचाप आदि।
हाईकोर्ट ने जेल अधीक्षक, सेंट्रल जेल, जयपुर को याचिकाकर्ता वीरेंद्र सिंह को जयपुर मेडिकल कॉलेज के यूरोलॉजी विभाग के तीन वरिष्ठ डॉक्टरों की एक टीम के सामने पेश करने का निर्देश दिया। ये डॉक्टर उसकी जांच करेंगे और उसके अनुसार इलाज करेंगे। इसके अलावा, यदि डॉक्टरों की टीम का सुझाव है कि किसी ऑपरेशन/सर्जरी की आवश्यकता है तो वह जेल अधिकारियों की देखरेख में किया जाएगा।
केस टाइटल: वीरेंद्र सिंह बनाम स्टेट ऑफ यूपी
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें