अटॉर्नी जनरल ने राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति देने से इनकार किया

Update: 2021-03-24 05:46 GMT

भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मंगलवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ न्यायपालिका पर टिप्पणी करने के लिए आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने की सहमति देने से इनकार कर दिया।

एजी ने कहा कि राहुल गांधी के बयानों ने "न्यायपालिका" का एक सामान्य संदर्भ दिया और सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई विशेष संदर्भ नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 (Contempt of Courts Act, 1971) की धारा 15 के तहत अटॉर्नी जनरल के पास सुप्रीम कोर्ट की अवमानना ​​के संबंध में अवमानना ​​के लिए कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति देने का अधिकार क्षेत्र है।

एजी ने कहा,

"इस प्रकार मेरी सहमति देने का सवाल ही नहीं उठता।"

शीर्ष कानून अधिकारी ने आगे कहा,

"विचाराधीन बयान जनता के नजरिए से संस्था के अधिकार को कमतर नहीं करता।"

एजी एक अधिवक्ता विनीत जिंदल द्वारा दायर एक याचिका का जवाब दे रहे थे। विनीत जिंदल ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने यह कहकर न्यायपालिका की अवमानना की कि "केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी ने अपने लोगों को न्यायपालिका में तैनात कर दिया है।"

जिंदल के अनुसार, गांधी ने एक इंटरव्यू में निम्नलिखित टिप्पणी की थी:

"इस देश में एक कानूनी प्रणाली है, जहां किसी को अपनी राय देने में 100 प्रतिशत स्वतंत्रता है। यह बहुत स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस देश के संस्थागत ढांचे में अपने लोगो को शामिल कर रही है।"

यह आरोप लगाते हुए कि इन टिप्पणियों ने सुप्रीम कोर्ट को अपमानित किया है। न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15 के तहत गांधी के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही की मांग की।

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