असम एनआरसी| सुप्रीम कोर्ट ने तय की नागरिकता कानून की धारा 6ए के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की तारीख

Update: 2023-09-20 11:18 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला किया कि वह 17 अक्टूबर, 2023 से नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगा।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने प्रक्रियात्मक निर्देश पारित करने के लिए आज यह मामला उठाया था।

पीठ ने कहा कि इस मामले में 10 जनवरी, 2023 को प्रक्रियात्मक निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रारंभिक मुद्दे को इस प्रकार तय किया था - "क्या नागरिकता अधिनियम की धारा 6 ए किसी संवैधानिक दुर्बलता से प्रभावित है?" और कहा कि इसमें मामले में उठे अन्य सभी मुद्दे भी शामिल हैं।

आज, अदालत ने कहा कि कार्यवाही का शीर्षक होगा- "In Re Section 6A of the Citizenship Act, 1955"।

पीठ ने आगे कहा कि नोडल वकीलों ने मामले में एक सामान्य संकलन तैयार किया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के सर्कूलर के अनुसार सामान्य संकलन को सुव्यवस्थित किया जाना था और एक सामान्य सूचकांक तैयार करना था।

इस प्रकार, पीठ ने कहा-

"सामान्य संकलन की सॉफ्ट कॉपी 3 अक्टूबर तक तैयार की जाएगी। लिखित प्रस्तुतियां 10 अक्टूबर तक दाखिल की जाएंगी। हम 17 अक्टूबर को शुरू करेंगे... हमें कम से कम मामले को जानना है और फिर पढ़ने के लिए खुद को एक सप्ताह का समय देना होगा।"

यह मामला असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए 1985 में एक संशोधन के माध्यम से शामिल नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता की चुनौती से संबंधित है।

नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए असम समझौते के अंतर्गत आने वाले व्यक्तियों की नागरिकता पर एक विशेष प्रावधान है और यह प्रावधान करती है कि जो लोग एक जनवरी, 1966 और 25 मार्च, 1971 के बीच भारत में आए और असम में रह रहे हैं, उन्हें खुद को भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत करने के लिए अनुमति दी जाएगी।

गुवाहाटी स्थित नागरिक समाज संगठन, असम संमिलिता महासंघ ने 2012 में धारा 6ए को चुनौती दी थी।

इसने तर्क दिया कि धारा 6ए भेदभावपूर्ण, मनमाना और अवैध है क्योंकि यह असम और शेष भारत में प्रवेश करने वाले अवैध प्रवासियों को नियमित करने के लिए अलग-अलग कट-ऑफ तारीखें प्रदान करती है।

इसने असम राज्य संबंधी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को 24 मार्च 1971 से पहले की मतदाता सूची को ध्यान में रखकर अपडेट करने के बजाय 1951 में तैयार एनआरसी में शामिल विवरण के आधार पर अपडेट करने के लिए संबंधित प्राधिकारी को निर्देश देने की मांग की है।

असम के अन्य संगठनों ने भीधारा 6ए की वैधता को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर कीं हैं।

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