पंचायत शिक्षिका को अपना वेतन लौटाने का निर्देश देने वाली अग्रिम जमानत की शर्त कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के निर्देश को किया खारिज

Update: 2022-11-15 13:18 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट की उस ज़मानत शर्त को रद्द कर दिया, जिसमें एक पंचायत शिक्षक को अग्रिम ज़मानत देते हुए ज़मानत शर्त के तौर पर उसे अपना वेतन वापस करने का निर्देश दिया गया था।

जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि अग्रिम जमानत देते समय ऐसी शर्तें न तो उचित है और न ही ऐसी शर्त लगाए जाने की आवश्यकता है।

एक पंचायत शिक्षक दिव्या भारती ने आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और धारा 120 बी के तहत अपराध के लिए एफआईआर दर्ज होने के बाद पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट ने उसे इस शर्त पर अग्रिम ज़मानत दे दी कि वह पंचायत शिक्षक के रूप में काम करते हुए प्राप्त वेतन को वापस कर देगी। यह निर्देश दिया गया था कि वह अपने द्वारा आहरित पूरी राशि को अठारह समान मासिक किश्तों में वेतन के रूप में लौटाएगी और पंचायत शिक्षक के रूप में अपनी नियुक्ति के लिए दावा नहीं करेगी।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी विशेष अनुमति याचिका में उसने इस निर्देश पर सवाल उठाया और तर्क दिया कि हाईकोर्ट द्वारा गिरफ्तारी-पूर्व/गिरफ्तारी के बाद की जमानत देते समय ऐसी कठोर शर्तें लगाई जा रही हैं, जो कानूनन टिकाऊ नहीं हैं।

बेंच ने कहा,

"हमारा विचार है कि पंचायत शिक्षक के रूप में नियुक्ति पर उनके द्वारा वेतन के रूप में ली गई राशि को वापस करने की अतिरिक्त शर्त न तो उचित है और न ही कानून के तहत आवश्यक है ।"


मामले का विवरण

दिव्या भारती बनाम बिहार राज्य | 2022 लाइवलॉ (SC) 961 | एसएलपी(सीआरएल) 8498/2022 | 14 नवंबर 202 2 |

जस्टिस अजय रस्तोगी और सीटी रविकुमार

हेडनोट्स

दंड प्रक्रिया संहिता, 1973; धारा 438 - अग्रिम जमानत - एचसी के आदेश के खिलाफ एसएलपी जिसमें अग्रिम जमानत की शर्त लगाई गई थी कि आरोपी पंचायत टीचर के रूप में काम करने के दौरान प्राप्त वेतन को वापस कर देगी।

पंचायत के रूप में नियुक्ति पर उसके द्वारा प्राप्त राशि को वेतन के रूप में वापस करने की अतिरिक्त शर्त शिक्षक को गिरफ्तारी से पहले जमानत देते समय कानून के तहत न तो न्यायोचित है और न ही आवश्यक है - एचसी निर्देश कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है और इसलिए इसे रद्द कर दिया गया।

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