CAA विरोधी प्रदर्शन के दौरान पुलिस का अत्याचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से रिपोर्ट मांगी 

Update: 2020-01-27 16:57 GMT

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक अहम कदम उठाते हुए राज्य सरकार से कहा है कि वह सुनवाई की अगली तारीख 17 फरवरी तक नागरिकता संशोधन कानून ( CAA) विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस अत्याचार के आरोपों पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करे।

मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की दो जजों की पीठ ने कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है।

अदालत ने राज्य सरकार से यह उल्लेख करने के लिए कहा कि CAA के विरोध और पुलिस के खिलाफ दर्ज शिकायतों के दौरान कितने लोग मारे गए। अदालत ने यह भी पूछा है कि इस संबंध में मीडिया रिपोर्टों की सत्यता की जांच की गई है या नहीं।

उत्तर प्रदेश में 20 दिसंबर को CAA के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस गोलीबारी में कथित रूप से लगभग 20 से अधिक लोग मारे गए थे।

मानवाधिकार एक्टिविस्ट ने आरोप लगाया है कि CAA और NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों पर नकेल कसने के लिए उत्तर प्रदेश में "आतंक का शासन" चल रहा है। राज्य में पुलिस कार्रवाई और हत्याओं के बारे में सच्चाई का पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली SIT जांच की मांग की गई। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन ने किसी भी तरह की ज्यादती या गलत काम से इनकार किया है।

मुंबई के वकील अजय कुमार की पीआईएल, पूर्व सीआईसी वजाहत हबीब उल्ला, सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश समेत 14 अर्जियों पर सुनवाई करते हुए अदालत ने हिंसा में मारे गए 23 प्रदर्शनकारियों की मौत के मामले में दर्ज FIR और पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट भी तलब की है। पीठ ने घायलों की मेडिकल रिपोर्ट और हिंसा में घायल पुलिस वालों का ब्‍योरा भी तलब किया है। हाईकोर्ट ने मृतकों के परिजनों को पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट देने का भी निर्देश दिया।  

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