इलाहाबाद हाईकोर्ट ने CAA विरोध प्रदर्शन के दौरान AMU में पुलिस कार्रवाई की जांच करने का निर्देश दिया

Update: 2020-01-07 08:08 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निर्देश दिया है कि वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित रूप पुलिस द्वारा की गई हिंसा की जांच करे।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने मोहम्मद अमन खान द्वारा 15 दिसंबर, 2019 को एएमयू में एक एंटी-सीएए विरोध के दौरान पुलिस कार्रवाई के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया।

आयोग को 5 सप्ताह के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है और इस मामले को फरवरी 17 के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के छात्रों पर 15 दिसंबर, 2019 को पुलिस द्वारा हिंसा के खिलाफ जनहित याचिका पर अपना फैसला को सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज फैसला सुनाया।

इस याचिका में कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र नागरिकता संशोधन कानून, 2019 के खिलाफ 13 दिसंबर को शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे। हालांकि, 15 दिसंबर को ये छात्र मौलाना आजाद पुस्तकालय के आस पास एकत्रित हुए और विश्वविद्यालय गेट की ओर मार्च किया।

याचिकाकर्ता का आरोप है कि विश्वविद्यालय गेट पर पहुंचने पर वहां तैनात पुलिस ने छात्रों को उकसाना शुरू कर दिया, लेकिन छात्रों ने प्रतिक्रिया नहीं दी। कुछ समय बाद पुलिस ने इन छात्रों पर आंसू गैस के गोले छोड़ने शुरू कर दिए और उन पर लाठियां बरसाईं जिसमें करीब 100 छात्र घायल हो गए।

वहीं राज्य सरकार की ओर से जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया था और पुलिस कार्रवाई का बचाव किया। राज्य ने दलील दी थी कि विश्वविद्यालय का गेट छात्रों द्वारा तोड़ दिया गया था और विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुरोध पर पुलिस ने हिंसा में लिप्त विद्यार्थियों को काबू में करने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश किया और इस कार्रवाई के दौरान कोई अतिरिक्त बल प्रयोग नहीं किया गया।

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