अगस्ता वेस्टलैंड मामला: सुप्रीम कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 436ए के तहत क्रिश्चियन मिशेल को जमानत देने से इनकार किया, नियमित जमानत लेने की अनुमति दी
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्ता वेस्टलैंड मामले में आरोपी क्रिश्चियन मिशेल जेम की याचिका खारिज कर दी। उसने सीआरपीसी की धारा 436ए के तहत जमानत की मांग की थी। हालांकि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने उन्हें नियमित जमानत लेने के लिए ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी।
अगस्ता वेस्टलैंड मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना कर रहे क्रिश्चियन जेम्स मिशेल ने अपनी जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील एडवोकेट अल्जो जोसेफ ने तर्क दिया कि सीआरपीसी की धारा 436ए के अनुसार, जब किसी व्यक्ति को उस कानून के तहत उस अपराध के लिए निर्दिष्ट कारावास की अधिकतम अवधि के आधे तक की अवधि के लिए हिरासत में रखा गया है तो वह अदालत द्वारा जमानत के साथ या बिना जमानत के अपने निजी मुचलके पर रिहा किया जाएगा।
हालांकि, जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि धारा 436ए का सहारा लेना सही नहीं हो सकता है क्योंकि याचिका में आईपीसी की धारा 467 के तहत भी आरोप लगाया गया है, जिसके तहत आजीवन कारावास के लिए दंड का प्रावधान है। इस पर वकील ने जवाब दिया कि प्रत्यर्पण डिक्री में आईपीसी की धारा 467 का उल्लेख नहीं किया गया था और इसलिए प्रत्यर्पण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार उक्त प्रावधान के तहत मिशेल पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि धारा 436ए के अनुसार, अदालत लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से ऐसे व्यक्ति को उक्त अवधि के आधे से अधिक समय तक हिरासत में रखने का आदेश दे सकती है। हालांकि, उन्होंने जोड़ा- "जब आप हिरासत का विस्तार करते हैं, तो यह लिखित रूप में कारणों के साथ होना चाहिए। इसलिए इस शक्ति का संयम से उपयोग किया जाना चाहिए।"
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन, सीबीआई और ईडी की ओर से पेश हुए। उन्होंने कहा कि उनके निरंतर हिरासत का कारण यह रहा कि उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार उड़ान जोखिम पेश किया था। इस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा , "आप सही हो सकते हैं कि उन्हें धारा 436ए के तहत जमानत नहीं मिल सकती है, लेकिन आपको अभी भी जवाब देना होगा कि उन्हें नियमित जमानत से वंचित क्यों किया जा सकता है। आप उन्हें कब तक हिरासत में रखेंगे?"
एएसजी जैन ने प्रस्तुत किया, "एक बार जांच समाप्त हो जाने के बाद, मुझे कोई कठिनाई नहीं होगी।"
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश में कहा-
"याचिकाकर्ता के वकील ने सीआरपीसी की धारा 436ए के प्रावधानों पर जोर देकर कहा कि याचिकाकर्ता ने अधिकतम सजा का आधा हिस्सा पूरा कर लिया है और इस तरह वह जमानत का हकदार है। हम इस दलील को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं हैं। धारा 436ए का पहला प्रावधान यह निर्धारित करता है कि अदालत निरंतर हिरासत का आदेश दे सकती है जो अधिकतम सजा का आधा हिस्सा बढ़ा सकती है। हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने जमानत को अस्वीकार करते समय उन परिस्थितियों का भी उल्लेख किया है, जिसके अनुसार याचिकाकर्ता को प्रत्यर्पित किया गया था। एसएलपी खारिज की जाती है। हम स्पष्ट करते हैं कि वर्तमान आदेश नियमित जमानत देने के लिए ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले याचिकाकर्ता के रास्ते में नहीं आएगा।"
पृष्ठभूमि
दुबई से प्रत्यर्पित किए जाने के बाद मिशेल को दिसंबर 2018 में गिरफ्तार किया गया था। वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले में हुए कथित अवैध लेनदेन के लिए उन्हें 'बिचौलिया' कहा जाता है। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 556.262 मिलियन यूरो के वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए 8 फरवरी, 2010 को हुए सौदे में सरकारी खजाने को 398.21 मिलियन यूरो (लगभग 2666 करोड़) का अनुमानित नुकसान हुआ था। इसके बाद ईडी ने जून 2016 में मिशेल के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसने अगस्ता वेस्टलैंड से 30 मिलियन यूरो (लगभग 225 करोड़ रुपये) प्राप्त किए थे।
केस टाइटल: क्रिश्चियन माइकल बनाम ईडी/सीबीआई एसएलपी(सीआरएल) संख्या 4145/2022