अग्निपथ योजना: सुप्रीम कोर्ट पहले से शुरू की गई भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत

Update: 2023-03-27 15:01 GMT

सुप्रीम कोर्ट सोमवार को अग्निपथ योजना को बरकरार रखने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया। उल्लेखनीय है अग्न‌िपथ योजना के तहत साढ़े 17 से 23 वर्ष की आयु के लोग सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिनका कार्यकाल चार साल का होगा।

अग्निपथ योजना की घोषणा से पहले केंद्र सरकार ने वायुसेना और थल सेना में विभिन्न पदों पर भर्तियों की घोषणा की थी। उम्मीदवार भर्ती प्रक्रिया के बीच में थे या नामांकन सूची के प्रकाशन की प्रतीक्षा कर रहे थे, हालांकि केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना और लंबित भर्ती प्रक्रियाओं को रद्द करने की घोषणा की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने अग्निपथ योजना को बरकरार रखते हुए थलसेना और वायु सेना द्वारा पूर्व में शुरू की गई भर्ती प्रक्रियाओं को पूरा करने की मांग करने वाली याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था।

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और ज‌स्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ के समक्ष याचिका में सेना और वायु सेना द्वारा पहले शुरू की गई भर्ती प्रक्रियाओं को पूरा करने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ता ने याचिका को निम्नलिखित शीर्षकों में विभाजित किया है-

1. COVID-19 महामारी के कारण आयोजित नहीं की गई परीक्षाओं से उत्पन्न होने वाले मुद्दे;

2. आयोजित की गई परीक्षाओं से उत्पन्न होने वाले मुद्दे जिनके परिणाम घोषित नहीं किए गए थे;

3. परीक्षाओं से उत्पन्न होने वाले मुद्दे जिनमें अनंतिम चयन सूची प्रकाशित की गई थी लेकिन कोई भर्ती नहीं की गई थी।

जब याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उस बैच के संबंध में जहां कोई परिणाम घोषित नहीं किया गया था, हाईकोर्ट द्वारा कोई निष्कर्ष नहीं दिया गया था तो सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि याचिकाकर्ता ने अपने फैसले की समीक्षा के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया।

याचिकाकर्ताओं ने कहा,

"एकमात्र कठिनाई यह थी कि छात्रों की उम्र अब अधिक हो गई थी। COVID महामारी के कारण परीक्षाएं न कराने के संबंध में सेना और वायु सेना से संबंधित अन्य याचिकाएं, परीक्षाओं को अवैध रूप से स्थगित करना, और दूसरे बैच की अनंतिम चयन सूची प्रकाशित होने पर ज्वाइनिंग नहीं होने के संबंध में - इन दो मुद्दों पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने विस्तृत निष्कर्ष दिया है।"

पीठ ने तब कहा कि याचिकाकर्ता एक संक्षिप्त नोट तैयार करेगा और अदालत इस मामले को जल्द से जल्द उठाएगी।

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