SCAORA के बाद, SCBA ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत अधिवक्ताओं के दायित्व के संबंध में सुप्रीम कोर्ट मामले में हस्तक्षेप करने का निर्णय लिया

Update: 2024-02-17 11:37 GMT

सुप्रीम कोर्ट में जारी एक मामले में, जहां शीर्ष अदालत यह तय कर रही है कि क्या वकील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के दायरे में आएंगे, में सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCROA) के बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने भी हस्तक्षेप करने का संकल्प लिया है। एसोसिएशन की ओर से लिए गए संकल्प में मामले के सभी अधिवक्ताओं पर प्रभाव की चर्चा की गई है। साथ ही संगठन ने 'सही कानून बनाने' में न्यायालय की सहायता के लिए हस्तक्षेप का विकल्प चुना है।

मामले में सुप्रीम कोर्ट जिस महत्वपूर्ण बिंदु की जांच कर रहा है, वह यह है कि क्या वकीलों द्वारा प्रदान की गई सेवाएं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (ओ) के तहत आती हैं, जिसके तहत सेवा को परिभाषित किया गया है। मामले में अपीलकर्ता, बार ऑफ इंडियन लॉयर्स ने अन्य बातों के साथ-साथ यह दलील दी है कि कि वकील-मुवक्किल के संबंध को सेवा प्रदाता-उपभोक्ता संबंध के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की डिवीजन बेंच मामले की सुनवाई कर रही है।

SCORA की ओर से 15 फरवरी को लिए गए प्रस्ताव में देश भर की अदालतों में अभ्यासरत अधिवक्ताओं पर मामले के प्रभाव को रेखांकित किया गया है और एक हस्तक्षेप आवेदन दायर करने का संकल्प लिया गया है। इस प्रकार, SCORA भी इस मामले में न्यायालय की सहायता करेगा। संगठन ने अपने सचिव/संयुक्त सचिव को मामले के लिए आवेदन और लिखित प्रस्तुतियों का मसौदा तैयार करने के लिए भी अधिकृत किया है।

एससीबीए ने 16 फरवरी को अधिसूचित प्रस्ताव में कहा है कि अधिवक्ता अधिनियम और बार काउंसिल अधिनियम अधिवक्ताओं को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा, बार काउंसिल अधिनियम अन्य बातों के साथ-साथ उचित मामलों में क्षतिपूर्ति का भी प्रावधान करता है। एसोसिएशन ने यह भी कहा है कि वकील, न्यायालयों के अधिकारी होने के नाते, कानून की अदालतों की सहायता के लिए लगे हुए हैं। इस प्रकार, उनकी तुलना डॉक्टरों जैसे अन्य पेशेवरों से नहीं की जा सकती जो पूरी तरह से मरीजों को सेवाएं प्रदान करते हैं।

Tags:    

Similar News