NEET-JEE परीक्षा स्थगित करने की मांग करते हुए 11 छात्र पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

Update: 2020-08-06 14:56 GMT

COVID19 महामारी के जोखिम का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई है ,जिसमें सितम्बर 2020 में होने वाली नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) और ज्वॉइंट एंट्रेंस एक्ज़ामिनेशन (JEE) को स्थगित करने की मांग की गई है।

ग्यारह राज्यों के ग्यारह छात्रों की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि 

''एक सितंबर से छह सितम्बर तक ऑनलाइन मोड के माध्यम से जेईई (मुख्य) की परीक्षा और एनईईटी यूजी -2020 की परीक्षा 13 सितंबर को आॅफलाइन माध्यम से पूरे भारत में 161 केंद्रों पर करवाने का निर्णय ''पूरी तरह से मनमाना, अस्थिर और लाखों छात्रों के जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।''

वकील अलख आलोक श्रीवास्तव के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि

''यह सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जा रहा है कि अस्वस्थ स्वास्थ्य स्थितियों के कारण या COVID19 से प्रभावित होने की प्रबल संभावना के कारण, कई छात्र उपरोक्त जेईई (मुख्य) अप्रैल -2020 और एनईईटी यूजी -2020 की परीक्षा में उपस्थित होने से वंचित हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार इन छात्रों को मिले समानता के मौलिक अधिकार का पूरी तरह उल्लंघन होगा।''

याचिका में इंगित किया गया है कि इंस्टीट्यूशन ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने COVID19 जोखिम का हवाला देते हुए सीए की परीक्षा रद्द कर दी है। सीबीएसई/आईसीएसई/आईएससी की बची हुई परीक्षाओं को भी रद्द कर दिया गया है। कॉमन लॉ एडमिशन एंट्रेंस टेस्ट (सीएलएटी) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल की परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गई हैं।

इसलिए याचिकाकर्ताओं ने उक्त परीक्षाओं की तर्ज पर समानता की मांग की है।

याचिका में कहा गया है कि, ''सितंबर, 2020 के महीनों में होने वाली जेईई (मुख्य) अप्रैल-2020 और एनईईटी यूजी-2020 की परीक्षा में लाखों युवा छात्रों के शामिल होने की संभावना है। वहीं इस समय भारत में COVID19 मामले खतरनाक दर से बढ़ रहे हैं। घातक महामारी COVID19 पहले ही भारत में लगभग 20 लाख लोगों को प्रभावित कर चुकी है और हर गुजरते दिन के साथ स्थिति बिगड़ती जा रही है।

इतने खतरनाक समय में भारत भर में उक्त परीक्षा आयोजित करना लाखों युवा छात्रों (यहां याचिकाकर्ताओं सहित) के जीवन को खतरे में डालने के अलावा और कुछ नहीं है। जिसमें बीमार होने के साथ-साथ मौत का खतरा भी शामिल है।''

यह भी तर्क दिया गया है कि अधिकारियों ने मनमाने ढंग से इस तथ्य की भी अनदेखी की है कि COVID19 संकट के बीच वित्तीय अवसरों की कमी के कारण बहुत सारे छात्रों के माता-पिता अत्यधिक वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं।

याचिका में कहा गया है कि, ''ऐसी स्थिति में माता-पिता पर उपरोक्त परीक्षा में बैठने वाले उनके बच्चों के परिवहन, आवास और चिकित्सा उपचार की लागत का बोझ ड़ालना पूरी तरह से अन्यायपूर्ण, अनुचित और नाजायज है।''

याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया है कि इससे छात्रों के बीच भेदभाव भी होगा क्योंकि कुछ छात्रों की प्रौद्योगिकी और इंटरनेट तक पहुंच है और कुछ के पास इन सुविधाओं का अभाव है।

''यह सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि जिन छात्रों के पास कंप्यूटर और मजबूत इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा है, वे ऑनलाइन परीक्षा दे पाएंगे, जबकि दूसरी ओर जो छात्र ऑनलाइन परीक्षा देने या उसके लिए व्यवस्था करने में असमर्थ हैं, उन्हें अपनी जान जोखिम में डालकर परीक्षा केंद्रों पर आना होगा। यह छात्रों के बीच एक भेदभाव है जिसे टाला जाना चाहिए।''

याचिका में कहा गया है कि ,''प्रतिवादियों ने बिहार, असम और उत्तर पूर्वी राज्यों से संबंधित लाखों छात्रों की दुर्दशा को नजरअंदाज कर दिया है, जो वर्तमान में लगातार बाढ़ का सामना कर रहे हैं और इस तरह ऐसी जगहों पर ऑनलाइन या ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करना संभव नहीं है। रेल या बस/ या अन्य सार्वजनिक परिवहन अभी भी प्रतिबंधित तरीके से चल रहा है। अभी तक रेलवे की सारी सेवाएं शुरू नहीं हुई है और केवल कुछ चुनिंदा ट्रेनें ही चल रही हैं।

वे छात्र जो परीक्षा केंद्रों के नजदीक नहीं रहते हैं, उन्हें भारत भर में किराए पर मकान/ पीजी आवास प्राप्त करने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि COVID19 के प्रकोप के कारण मकान मालिक आजकल किसी को जल्दी ऐसे आवास देने के लिए तैयार नहीं होते हैं। इसके अलावा, जो छात्र हॉस्टल में रह रहे हैं, उन्हें अन्य छात्रों के साथ कमरे, वॉशरूम और मेस को साझा करना होगा, जो COVID19 संक्रमण के अवसरों को बढ़ाएगा।''

याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि ''ऐसी स्थिति में अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि वह एनईइटी और जेईई की परीक्षा ''देश में सामान्य स्थित बहाल होने के बाद ही करवाएं क्योंकि इस समय देश COVID19 संकट का सामना कर रहा है।''

याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से यह भी आग्रह किया है कि देश भर में एनईईटी और जेईई परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए और प्रत्येक राज्य के प्रत्येक जिले में कम से कम एक केंद्र बनाया जाए।

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