हापुड़ मॉब लिंचिंग : SC ने UP सरकार को अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल करने के निर्देश देने से इनकार किया, याचिकाकर्ताओं को ट्रायल कोर्ट में आवेदन देने को कहा [आर्डर पढ़े]
उत्तर प्रदेश के हापुड़ में गोहत्या के आरोप में मॉब लिंचिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को ट्रायल कोर्ट में अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल करने के लिए निर्देश देने से इनकार कर दिया है।
वहीं पीठ ने राज्य सरकार के उस अनुरोध को भी ठुकरा दिया है, जिसमें यह कहा गया था कि इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है लिहाजा वो इस याचिका का निपटारा करे।
इससे पहले 3 मई को मामले की जांच को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने राज्य सरकार को यह निर्देश दिया था कि इस रिपोर्ट को याचिकाकर्ताओं को भी दिया जाए।
इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने पीठ को बताया था कि राज्य पुलिस की जांच सहीं नहीं चल रही है और पीड़ितों को मुआवजा तक नहीं दिया गया है।
इस याचिका में मामले में 4 आरोपी को जमानत मिलने पर जल्द सुनवाई की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि स्थानीय पुलिस ने मॉब लिंचिंग मामले में दिए गए शीर्ष अदालत के फैसले का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया है और एफआईआर में पूरी घटना को रोड रेज के रूप में वर्णित किया है।
18 जून 2018 को याचिकाकर्ता समयद्दीन (65) 45 वर्षीय मांस व्यापारी कासिम कुरैशी के साथ थे, जब एक "भीड़" ने गोहत्या के आरोप में उन दोनों पर हमला कर दिया। यह घटना उस दिन के एक दिन बाद हुई जब शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा था कि वो मॉब लिंचिगं के दोषी पाए गए लोगों को दंडित करने के लिए एक अलग कानून तैयार करे।
इस हमले की वीडियो रिकार्डिंग भी की गई जो यह दिखाती है कि कुरैशी और याचिकाकर्ता दोनों को फेंक दिया गया था। हमलावरों ने याचिकाकर्ता की दाढ़ी को भी खींच लिया था, और उससे दुर्व्यवहार किया। कुरैशी की तुरंत मौत हो गई थी। मुख्य अभियुक्त के रूप में पुलिस ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया जिनमें एक स्थानीय युधिष्ठिर सिंह सिसोदिया को नामजद किया गया।
बाद में सिसोदिया को जमानत पर छोड़ दिया गया। अपनी जमानत याचिका में उसने यह दावा किया कि वह उस जगह पर मौजूद नहीं था। हालांकि, एक अंग्रेजी समाचार चैनल द्वारा एक स्टिंग ने उसे अपराध के बारे में बताते हुए दिखाया था। समयद्दीन ने भी अपनी याचिका में ट्रायल को उत्तर प्रदेश से बाहर ट्रांसफर करने का आग्रह किया है। वह यह भी चाहते हैं कि शीर्ष अदालत आरोपी की जमानत रद्द करे। सुप्रीम कोर्ट मजिस्ट्रेट के सामने इस घटना पर उनका बयान दर्ज कराए और घटना की स्वतंत्र जांच कराए।