महाराष्ट्र : वह समर्थन पत्र कोर्ट में पेश करें, जिस पर राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया, सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को निर्देश

Update: 2019-11-24 07:29 GMT

महाराष्ट्र सरकार के गठन की वैधता पर तत्काल सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह सोमवार सुबह 10.30 बजे वह समर्थन पत्र अदालत में पेश करे, जिसके आधार पर महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का फैसला लिया।

जस्टिस एन वी रमना, अशोक भूषण और संजीव खन्ना की बेंच ने आदेश दिया:

"मुद्दा यह है कि दिनांक 23/11/19 को गवर्नर का सरकार बनाने के लिए उन्हें आमंत्रित करने का निर्णय असंवैधानिक है। इस मुद्दे पर हम सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से अनुरोध करते हैं कि वे कल सुबह 10.30 बजे तक दो पत्र पेश करें।"

जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की तीन जजों वाली बेंच ने रविवार सुबह 11.30 बजे महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई की और केंद्र को नोटिस जारी करके राज्यपाल की उस चिट्ठी को सोमवार को अदालत में पेश करने के लिए निर्देश दिए जिसमें भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फनडवीस का वह पत्र भी पेश करने को कहा है जिसमें उन्होंने बहुमत साबित करने का दावा किया था। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार सुबह 10.30 बजे करेगा।

सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने महाराष्ट्र में भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के राज्यपाल के नाटकीय फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई सोमवार को भी जारी रहेगी।

शिवसेना की दलील

शिवसेना की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील रखी और कहा कि राज्यपाल द्वारा भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने का न्यौता देना असंवैधानिक है और इस कार्यवाही का कोई रिकॉर्ड नहीं है, सबकुछ जल्दबाज़ी में किया गया। सिब्बल ने महाराष्ट्र से रातोंरात राष्ट्रपति शासन हटाने पर भी सवाल उठाए।

सिब्बल ने दोनों पक्षों को सदन में बहुमत साबित करने का मौका जल्द से जल्द देने की शीर्ष कोर्ट से मांग की।

भाजपा की ओर से मुकुल रहतोगी ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां सीधे सुप्रीम कोर्ट नहीं आ सकतीं, उन्हें पहले हाईकोर्ट जाना चाहिए था।

अभिषेक मनु सिंघवी ने एनसीपी की ओर से दलील पेश करते हुए कहा कि अजीत पवार अब विधायक दल के नेता नहीं है और इस संबंध में राज्यपाल को चिट्ठी भेजकर अवगत किया जा चुका है।

Tags:    

Similar News