असम में NRC : सुप्रीम कोर्ट ने MHA को लगाई फटकार, कहा नहीं बढ़ेगी डेडलाइन

Update: 2019-02-05 16:49 GMT

असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) का कार्य लोकसभा चुनाव के दौरान निलंबित करने के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की जमकर खिंचाई की है।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन की पीठ ने मंगलवार को कहा कि गृह मंत्रालय NRC की प्रक्रिया को पूरा ना करने पर आमादा है। MHA (Ministry of Home Affairs) असम में NRC प्रक्रिया में देरी के लिए सभी प्रकार के बहाने लेकर आ रही है। कोर्ट ने आगे कहा कि, MHA का संपूर्ण प्रयास NRC की प्रक्रिया को नष्ट करना है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या हमें गृह सचिव को अदालत में बुलाना चाहिए? क्योंकि AG और SG को ठीक से ब्रीफ नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि हम निराश हैं। हम NRC के प्रकाशन के लिए तय समय सीमा को 31 जुलाई से आगे नहीं बढ़ाएंगे।

ये कड़ी टिप्पणियां तब की गईं जब अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि से NRC अभ्यास को स्थगित करने की मांग की। AG ने यह भी कहा कि चुनाव के दौरान MHA को केंद्रीय सुरक्षा बलों की 167 कंपनियां चुनाव में सुरक्षा के लिए वापस लेनी होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में देश की सुरक्षा का मसला शामिल है।

पीठ ने कहा कि वे यह समझ सकते हैं कि नामांकन और चुनाव, दोनों महत्वपूर्ण हैं लेकिन 3 सप्ताह तक NRC के काम को स्थगित करना संभव नहीं है। हालांकि, पीठ ने कहा कि वो इस मामले पर मार्च के पहले सप्ताह में सुनवाई करेंगे।

गौरतलब है कि बीते 24 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किया था कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) के अंतिम ड्राफ्ट को 31 जुलाई तक प्रकाशित किया जाना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन की पीठ ने कहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया और NRC प्रक्रिया को कर्मचारियों की कमी के कारण एक दूसरे को प्रभावित किए बिना एक साथ चलना चाहिए।

पीठ ने निर्देश दिया है कि असम के मुख्य सचिव, NRC कोऑर्डिनेटर और चुनाव आयोग के सचिव एक साथ बैठ कर कर्मचारियों के मुद्दे को सुलझाएं।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि चुनाव और NRC दोनों महत्वपूर्ण हैं और वो एक दूसरे के लिए बाधा नहीं बन सकते। पीठ ने असम सरकार से कर्मचारियों के मुद्दे पर चुनाव आयोग के साथ बैठक के बाद 1 सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।

वहीं इस मामले में समन्वयक की भूमिका निभा रहे प्रतीक हजेला ने पीठ को बताया था कि अंतिम सूची के प्रकाशन को अगस्त या सितंबर तक बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि NRC के कर्मचारियों का उपयोग लोकसभा चुनाव के लिए किया जा सकता है।

दरअसल, कुल 36.2 लाख लोगों ने NRC में शामिल होने के दावे प्रस्तुत किए हैं। यह लोग उन 40 लाख लोगों में से हैं जिन्हें NRC के मसौदे में स्थान नहीं दिया गया था। इन दावों की सुनवाई 15 फरवरी से शुरू होगी।

वहीं इससे पहले 12 दिसंबर 2018 को असम में नेशनल सिटीजन्स (NRC) से छोड़े गए 40 लाख लोगों के दावों और आपत्तियों को दर्ज कराने की डेडलाइन सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी थी।

पीठ ने असम सरकार की अर्जी पर सुनवाई करते हुए दावों और आपत्तियों के वैरीफिकेशन की डेडलाइन भी 1 फरवरी 2019 से बढ़ाकर 15 फरवरी 2019 कर दी थी। ज्ञातव्य हो कि सर्वोच्च न्यायालय लगातार NRC अपडेट की निगरानी कर रहा है।

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