असम में NRC : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, " बहादुर बनों और कानून का पालन करो, 31 जुलाई तक ही आएगा NRC"
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यह दोहराया है कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स ( NRC ) का काम 31 जुलाई तक पूरा होना चाहिए भले ही उन लोगों के खिलाफ आपत्तियों को आगे बढ़ाने में असफलता हो जिनके नाम पिछले साल जुलाई में प्रकाशित NRC के मसौदे में शामिल नहीं किए गए हैं।
"बहादुर बनो और कानून का पालन करो, NRC को 31 जुलाई तक आना चाहिए, शायद एक दिन पहले ही लेकिन एक दिन बाद नहीं," सुप्रीम कोर्ट ने कहा।
"आपत्तियों का निपटारा पहले ही हो चुका है"
बुधवार को NRC समन्वयक प्रतीक हजेला ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन की पीठ के समक्ष यह प्रस्तुत किया कि NRC से बहिष्कार के खिलाफ आपत्तियों का निपटारा पहले ही शुरू हो चुका है लेकिन ज्यादातर मामलों में दावेदार सामने ही नहीं आए।
"गर्मी की छुट्टियों में तत्काल सुनवाई के लिए खुले हैं द्वार"
राज्य समन्वयक को यह भी स्वतंत्रता दी गई है कि गर्मी की छुट्टियों में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता हो तो रजिस्ट्रार के समक्ष इसे मेंशन किया जा सकता है।
MHA को मिली थी SC से फटकार
इससे पहले 05 फरवरी को असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) का कार्य लोकसभा चुनाव के दौरान निलंबित करने के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की जमकर खिंचाई की थी।
दरअसल मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन की पीठ ने कहा था कि गृह मंत्रालय NRC की प्रक्रिया को पूरा ना करने पर आमादा है। MHA असम में NRC प्रक्रिया में देरी के लिए सभी प्रकार के बहाने लेकर आ रही है। MHA का संपूर्ण प्रयास NRC की प्रक्रिया को नष्ट करना है।
चीफ जस्टिस ने कहा था कि क्या हमें अब गृह सचिव को बुलाना चाहिए? क्योंकि AG और SG को ठीक से ब्रीफ नहीं किया जाता। हम NRC के प्रकाशन के लिए समय सीमा 31 जुलाई से आगे नहीं बढ़ाएंगे।
पीठ ने कहा था कि हम यह समझ सकते हैं कि नामांकन और चुनाव, दोनों महत्वपूर्ण हैं लेकिन 3 सप्ताह तक NRC के काम को स्थगित करना संभव नहीं है।