बॉम्बे हाईकोर्ट के FIR दर्ज करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे NCP नेता धनंजय मुंडे, शुक्रवार को सुनवाई

Update: 2019-06-13 12:54 GMT

महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता विपक्ष और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मुंडे ने हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें जमीन के मामले में उनके खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया है।

हुई याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग

गुरुवार को वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की अवकाश पीठ के समक्ष याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि सोमवार से सदन का सत्र शुरु हो रहा है।

दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने 10 जून को मुंडे के खिलाफ जमीन खरीद के एक मामले में FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। राजाभाऊ फड द्वारा दाखिल याचिका पर पीठ ने यह फैसला सुनाया।

पद का दुरुपयोग करते हुए काफी कम दाम पर जमीन खरीदने का आरोप

यह जमीन अंबोजागाई तहसील के पूस स्थित बेलखंडी देवस्थान पर है। यह सरकारी जमीन बेलखंडी मठ को गिफ्ट के तौर पर दी गई थी। आरोप यह है कि यह जमीन धनंजय मुंडे ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए काफी कम दाम पर सहकारी चीनी कारखाने के लिए खरीदी थी। आरोप यह है कि यह जमीन कृषि योग्य थी लेकिन दस्तावेजों में इसे अकृषि योग्य भूमि करार दिया गया और जमीन के मामूली दाम लगाए गए।

हाई कोर्ट में दाखिल याचिका के मुताबिक उपहार में मिली किसी भी जमीन की खरीद- बिक्री नहीं की जा सकती लेकिन इस प्रकरण में दबाव तंत्र का इस्तेमाल किया गया। मुंडे ने वर्ष 1991 में जगमित्र शुगर फैक्ट्री के लिए 24 एकड़ जमीन खरीदी थी। गैर कानूनी तरीके से हुए इस सौदे के विरोध में राजाभाउ फड ने पहले पुलिस थाने में शिकायत की। जब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो उन्होंने अदालत की शरण ली।

मुंडे के वकील द्वारा पेश की गई दलील

वहीं मुंडे के वकील सिद्धेश्वर ठोंबरे ने अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि जिस वक्त इस भूमि का सौदा हुआ उस वक्त इसके अधिकार देशमुख के पास थे। उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी कि यह कृषि योग्य जमीन है। उनके वकील ठोंबरे ने पूरे प्रकरण को राजनीतिक मोड़ देने के लिए षड़यंत्र रचने का आरोप लगाया।

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