नागेश्वर राव को CBI का अतंरिम निदेशक बनाने के खिलाफ याचिका को अब जस्टिस सीकरी ने भी किया सुनने से इनकार
एम. नागेश्वर राव को सीबीआई का अतंरिम निदेशक बनाए जाने के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को भी सुनवाई नहीं हो पाई। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के बाद अब जस्टिस ए. के. सीकरी ने भी इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। अब इस मामले को शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
दरअसल गुरुवार को कॉमन कॉज की याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन जस्टिस ए. के. सीकरी ने कहा कि वो इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर रहे हैं। वो मानते हैं कि याचिका में अहम और खास मुद्दे उठाए गए हैं, लेकिन वो इस पर सुनवाई नहीं कर सकते।
इस दौरान अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि अगर जस्टिस सीकरी इस केस को सुनते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं हैं। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि ये गलत संदेश दे रहा है। इससे पहले चीफ जस्टिस ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया। अब आज ही सलेक्शन कमेटी की मीटिंग होनी है।
लेकिन जस्टिस सीकरी ने कहा कि वो इस केस की सुनवाई नहीं कर सकते। अगर चीफ जस्टिस प्रशासनिक तौर पर ये केस उनके पास भेजते तो वो मना कर देते, लेकिन 21 जनवरी को न्यायिक आदेश के जरिए इस केस को सूचीबद्ध किया गया है। पीठ ने इस केस को शुक्रवार को सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस के पास भेज दिया।
जैसा कि हमने आपको बताया कि बीते 21 जनवरी को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। मामले की सुनवाई शुरू होते ही कॉमन कॉज की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने बहस करनी चाही तो चीफ जस्टिस ने कहा था कि वो 24 जनवरी को नए सीबीआई निदेशक के चयन के लिए प्रधानमंत्री व लोकसभा में नेता विपक्ष के साथ होने वाली मीटिंग में बतौर चयन समिति के सदस्य के रूप में जाने वाले हैं। इसलिए वो इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते, लिहाजा इस मामले की सुनवाई गुरुवार को कोर्ट नंबर 2 में होगी।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कॉमन कॉज ने कहा है कि नागेश्वर राव की नियुक्ति मनमानी और गैरकानूनी है और दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान कानून, 1946 की धारा 4ए के तहत सीबीआई में अंतरिम निदेशक के पद की कोई व्यवस्था नहीं है।
याचिका के अनुसार, नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त करने का सरकार का पिछले साल 23 अक्टूबर का आदेश, सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को रद्द कर दिया था। लेकिन सरकार ने मनमाने, गैरकानूनी और दुर्भावनापूर्ण तरीके से कदम उठाते हुए पुन: इस पद पर उनकी नियुक्ति कर दी है।
याचिका में लोकपाल और लोकायुक्त कानून, 2013 में किए गए संशोधन में तय प्रक्रिया के अनुसार केंद्र को सीबीआई का नियमित निदेशक नियुक्त करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
वहीं याचिका में यह भी कहा गया है कि सीबीआई निदेशक के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाना चाहिए। निदेशक पद के लिए चुने गए उम्मीदवारों की सूची, वेबसाइट पर जारी होनी चाहिए और प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की हाई पावर कमेटी की बैठक का ब्यौरा भी सार्वजनिक होना चाहिए।
गौरतलब है कि 10 जनवरी को आलोक वर्मा को जांच एजेंसी के निदेशक पद से हटाए जाने के बाद, केंद्र सरकार ने नए निदेशक की नियुक्ति होने तक एम. नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किया है।