सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में गुर्जर समुदाय को 5 फीसदी आरक्षण पर रोक लगाने से किया इनकार, कहा हाई कोर्ट में सुनवाई लंबित है

Update: 2019-04-06 17:15 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में गुर्जर समुदाय व अन्य जातियों को पांच फीसदी आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

शुक्रवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय में मामला लंबित है और इस समय सुप्रीम कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर राजस्थान उच्च न्यायालय के 11 मार्च के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें राजस्थान पिछड़ा वर्ग संशोधन अधिनियम- 2019 पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था। हालांकि पीठ ने इस संबंध में याचिका पर नोटिस जारी करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा था। याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि इस आरक्षण पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए।

वहीं याचिकाकर्ता ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा गुर्जर सहित अन्य जातियों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए राज्य में आपात परिस्थितियों को हवाला दिया है जबकि राज्य में ऐसी कोई विषम परिस्थितियां नहीं थीं। गुर्जर समुदाय के आंदोलन के दबाव में राज्य सरकार ने मजबूरी में उन्हें आरक्षण दिया।

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण देने पर रोक लगा रखी है लेकिन राज्य सरकार ने राजस्थान पिछड़ा वर्ग संशोधन अधिनियम- 2019 में गुर्जर सहित पांच जातियों को पांच प्रतिशत आरक्षण उनकी जनसंख्या के अनुपात का हवाला देकर दिया है जबकि संविधान के अनुसार जनगणना के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। याचिका में यह भी कहा गया है कि संविधान में शैक्षणिक व सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था है लेकिन नए संशोधन कानून में गुर्जर सहित पांच जातियों को आरक्षण दिया है जो संविधान के खिलाफ है। 

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