हेराल्ड हाउस को खाली करने का मामला : दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई टाली 15 जनवरी तक सुनवाई
दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ के दिल्ली स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने के आदेश को चुनौती देने की याचिका पर हाईकोर्ट में खंडपीठ के सामने सुनवाई 15 जनवरी तक टल गई है।
बुधवार को चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वी कामेश्वर राव की पीठ ने इस मामले की सुनवाई उस वक्त टाल दी जब दोनों पक्षों की ओर से कोई वरिष्ठ वकील पेश नहीं हो पाया।
दरअसल एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड ( AJL) ने दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ में याचिका दाखिल कर एकल पीठ के 21 दिसंबर 2018 के आदेश को चुनौती दी है जिसमें दो हफ्ते के भीतर हेराल्ड हाउस को खाली करने को कहा गया था।
शनिवार शाम को दाखिल याचिका में न्याय के हित में 21 दिसंबर के आदेश पर तुरंत रोक लगाने की गुहार लगाई गई है। याचिका में कहा गया है कि अगर इमारत खाली करने के आदेश तुरंत रोक नहीं लगी तो याचिकाकर्ता तो कभी ना पूरा होने वाला नुकसान होगा।
इस याचिका में कहा गया है कि एकल पीठ ने इस संबंध में दिए गए तथ्यों व कानूनी पहलुओं पर सही से गौर नहीं किया है। याचिका में इसी तरह लीज पर दिए गए अन्य स्थानों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि वहां पर भी इमारत के तलों को किराए पर दिया गया है। माना जा रहा है कि हाईकोर्ट 9 जनवरी को इस पर सुनवाई करेगा।
21 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड ( AJL) को दो हफ्तों के भीतर हेराल्ड हाउस को खाली करने के आदेश दिए थे। जस्टिस सुनील गौड़ की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि अगर दो हफ्ते में AJL ने इमारत खाली नहीं की तो कानून के मुताबिक कार्रवाई होगी। इस दौरान हाईकोर्ट ने AJL के 99 फीसदी शेयर यंग इंडियन कंपनी को ट्रांसफर पर भी बडे सवाल उठाते हुए कहा कि AJL को यंग इंडियन कंपनी द्वारा हाईजैक कर लिया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जिस मक़सद के लिए ये जगह दी गई वो अब नहीं रही। बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर पर अखबार का दफ्तर होना चाहिए था, उसे टॉप फ्लोर पर शिफ्ट कर दिया और वहां बामुश्किल कोई प्रेस एक्टिविटी होती है। अपने इस फैसले में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के हेराल्ड हाउस को लीज का उल्लंघन करने के कारण इमारत खाली करने के नोटिस को सही ठहराया। फैसले में कहा गया
कि हेराल्ड हाउस को लीज पर देने का मुख्य उद्देश्य खत्म हो गया है। याचिकाकर्ता ने इसका कोई उदाहरण नहीं दिया कि उनके खिलाफ कार्रवाई गंभीर दुर्भावनापूर्ण है और सत्ता में बैठी सरकार के इस नोटिस से पंडित नेहरू की किस तरह मानहानि हुई या उन्हें प्रभावित किया
AJL इस पर भी चुप है कि उसके प्रिंट और ऑनलाइन एडिशन का भारत भर में प्रसार कितना है।
जस्टिस गौड़ ने फैसले में कहा कि यंग इंडियन कंपनी के स्टेक होल्डर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोती वाल वोहरा और ऑस्कर फर्नांडिस हैं। AJL की 413.40 करोड की संपत्ति के 99 फीसदी शेयर गुपचुप तरीके से यंग इंडियन कंपनी को फायदे के लिए ट्रांसफर किए गए। यंग इंडियन कंपनी चेरिटेबल कंपनी है लेकिन ये AJL के 99 फीसदी शेयर ट्रांसफर करने का एक तरीका था।AJL का यंग इंडियन कंपनी में शेयर ट्रांसफर का तरीका सवालों के घेरे में है।इस केस में तकनीकी तौर पर बिक्री, गिरवी रखकर या उपहार के तौर पर AJL के फायदे यंग इंडियन में ट्रांसफर नहीं किए गए।
22 नवंबर को दिल्ली स्थित नेशनल हेराल्ड बिल्डिंग की लीज़ खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की याचिका पर दिल्ली हाइकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जस्टिस सुनील गौड़ की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखते हुए यथास्थिति बरकरार रखने को कहा था।
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि AJL की तरफ़ से कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। 2008 से लेकर 2017 तक बिल्डिंग में किसी तरह का कोई प्रकाशन नहीं हो रहा है और बिल्डिग का इस्तेमाल दूसरे काम के लिए हो रहा था। इन्होंने एक वेब साप्ताहिक शुरू किया है जो कि नोएडा से चल रहा है और AJL ने ये कंपनी दूसरी कंपनी यंग इंडिया को बेंच दी है। SG ने कहा कि आयकर विभाग के नोटिस के मुताबिक 2008 में पूरे अख़बार को बंद कर दिया था और सभी काम करने वालों को वीआरएस दे दिया गया था। चेयरमैन को निरीक्षण करने नोटिस भेजा गया था और सितंबर 2016 में निरीक्षण भी किया गया था।इस दौरान टीम को प्रिंटिंग का कोई सामान नहीं मिला था। पहला तल पासपोर्ट ऑफिस को दिया गया है जबकि दूसरे और तीसरे तल किसी और को और चौथा कल AJL के पास। हमें कहा गया था कि प्रिंटिंग शुरू की जाएगी पर 2008 से 2016 तक कोई प्रिंटिंग नहीं की गई।
SG ने कहा कि ये सब एक बहुमूल्य प्रापर्टी पर कब्ज़ा करने के लिए कर रहे हैं। उनको इतनी बड़ी संपत्ति की ज़रूरत ही नहीं है। एक वेब सीरीज़ है और उसके लिए बस लैपटाप की ज़रूरत है। इसलिए पूरी जांच के बाद लीज़ खत्म की गई।
वहीं AJL की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि 10 जून 2016 को पहला नोटिस भेजा गया था और इस नोटिस में तो प्रिंटिंग प्रेस के नहीं चलने की बात ही नहीं थी। ये कारण बताओ नोटिस था और नोटिस के बाद 1.5 साल तक कुछ नहीं कहा गया। 5 अप्रैल 18 को दूसरा नोटिस दिया गया और दूसरे नोटिस में भी प्रिंटिंग प्रेस की कोई बात नहीं कही गई। 18 जून 18 को भेजे गए तीसरे नोटिस में प्रिंटिंग प्रेस की बात कही गई।
हम नवंबर 2016 से प्रेस चला रहे हैं। तकनीक इतने सालों में बदल गई है और लीज़ में कहीं नहीं कहा गया कि परिसर से ही छपाई होनी चाहिए।
दूसरे अखबारों की प्रेस भी नोएडा में है।
उन्होंने दलील दी कि लीज़ में कोई नियम नहीं है कि शेयर किसी और को नहीं दे सकते और ये संपत्ति बेची नहीं गई बल्कि शेयर ट्रांसफ़र किए हैं।
दरअसल केंद्र सरकार ने AJL को 15 नवंबर तक ही परिसर खाली करने का नोटिस दिया था।
नेशनल हेराल्ड ने शहरी विकास मंत्रालय के 30 अक्टूबर के नोटिस को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इस नोटिस में उसके 56 साल पुराने लीज़ को खत्म करते हुए आईटीओ के प्रेस एनक्लेव स्थित हेराल्ड बिल्डिंग को खाली करने को कहा गया था।