उन्नाव मामला : सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता के चाचा को तिहाड़ जेल ट्रांसफर करने के आदेश दिए

Update: 2019-08-02 11:47 GMT

उन्नाव मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार पीड़िता के चाचा को रायबरेली जेल से तुंरत दिल्ली की तिहाड़ जेल ट्रांसफर करने के आदेश जारी किए हैं।

जरूरत पड़ने पर पीड़िता कभी भी SC के सेकेट्री जनरल के पास आ सकती है

CJI रंजन गोगोई की पीठ ने पीड़िता की मां की ओर से वकील द्वारा पेश तर्क को मान लिया कि पीड़िता को फिलहाल लखनऊ के अस्पताल में ही रखा जाए। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में सोमवार को सुनवाई करेगा। साथ ही पीठ ने पीड़िता को यह अनुमति दी है कि जब भी उसे जरुरत पड़े वो सुप्रीम कोर्ट में सेकेट्री जनरल के पास जा सकते हैं। साथ ही पीठ ने मीडिया को भी यह निर्देश दिया है कि वो पीड़िता की पहचान उजागर ना करे।

उत्तर प्रदेश सरकार ने मुआवजा के साथ सुरक्षा प्रदान की

सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से यह बताया गया कि पीड़िता को 25 लाख रुपये का मुआवजा दे दिया गया है। साथ ही CRPF की सुरक्षा भी मुहैया करा दी गई है। सरकार ने कहा कि पीड़िता के चाचा को तिहाड़ जेल ट्रांसफर करने में उसे कोई आपत्ति नहीं है।

मामले किये गए थे दिल्ली की तीस हजारी अदालत में ट्रांसफर
वहीं इससे पहले इस मामले में एक बड़ा कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बलात्कार पीड़िता की ओर से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर व अन्य के खिलाफ दर्ज पांचों केसों को उत्तर प्रदेश से दिल्ली की तीस हजारी अदालत में ट्रांसफर कर दिया है।

45 दिन में ट्रायल पूरा करने के निर्देश

इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो को 2 सप्ताह के भीतर रायबरेली हादसे की जांच पूरी करने का निर्देश दिया था और दिल्ली की तीस हजारी के जिला जज धर्मेश शर्मा को तुरंत ट्रायल शुरू कर 45 दिनों में सुनवाई पूरी करने के निर्देश दिए थे।

सुरक्षा मुहैया कराए जाने के निर्देश

पीठ ने सीबीआई अधिकारियों को कोर्ट में बुलाकर इस केस की जानकारी लेने के बाद पीड़िता, उसके परिवार, वकील व उसके परिवार को CRPF की सुरक्षा मुहैया कराने को कहा था। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को पीड़िता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्देश भी दिए थे।

पीड़िता को एयरलिफ्ट करके दिल्ली लाए जाने पर हुआ था विचार

इसके अलावा पीठ ने लखनऊ के अस्पताल के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर भी गौर किया जिसमें यह कहा गया कि पीड़िता व उसके वकील को एयरलिफ्ट कर दिल्ली लाया जा सकता है। हालांकि अस्पताल में तमाम सुविधाएं मौजूद हैं। इस पर पीठ ने पीड़िता के वकील को यह निर्देश लाने के लिए कहा था कि क्या वो दोनों को दिल्ली लाना चाहते हैं। साथ ही पीड़ित पक्ष ने पीड़िता के चाचा को रायबरेली की जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल ट्रांसफर करने की गुहार लगाई थी जिस पर पीठ ने राज्य सरकार का पक्ष पूछा था।

इसके अलावा कोर्ट ने सेकेट्री जनरल द्वारा सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में आंतरिक जांच का भी आदेश दिया है कि परिवार द्वारा लिखे पत्र को CJI के पास अग्रेषित करने में देरी करने में रजिस्ट्री द्वारा कोई चूक हुई है या नहीं।

पीड़िता के परिवार द्वारा लिखे पत्र पर CJI ने लिया संज्ञान

दरअसल उन्नाव कांड मामले में बलात्कार पीड़िता के परिवार द्वारा आरोपियों की धमकी और सुरक्षा देने की गुहार लगाने वाले पत्र पर संज्ञान लेते हुए CJI की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसे न्यायिक तौर पर विचार करने का फैसला किया था। बीते बुधवार को पीठ ने सुप्रीम कोर्ट सेकेट्री जनरल से रिपोर्ट भी मांगी कि 12 जुलाई को भेजे गए पत्र को मंगलवार दोपहर तक उनके संज्ञान में क्यों नहीं लाया गया।

पीठ ने इस मामले को उस समय संज्ञान में लिया था जब POCSO मामले में एमिकस क्यूरी और वरिष्ठ वकील वी. गिरी ने मामले का उल्लेख किया और कहा कि एक गंभीर मामला हुआ है इसलिए मामले की जल्द सुनवाई होनी चाहिए।

पत्र में मौजूद शिकायत क्या है?

12 जुलाई को लिखे गए पत्र में बलात्कार पीड़िता के परिवार ने यह शिकायत की थी कि उन्हें आरोपियों के लोगों की धमकियों का सामना करना पड़ रहा है और उनके द्वारा उन्हें पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने की गुहार लगाई गई थी। पत्र में कहा गया है कि आपराधिक धमकी और हमलावरों की तस्वीरों की एक वीडियो-रिकॉर्डिंग पत्र के साथ संलग्न की गई हैं।

बलात्कार पीड़िता हुई सड़क दुर्घटना का शिकार

रविवार को बलात्कार पीड़िता रायबरेली में एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गई जब एक ट्रक उनकी कार में घुस गया था, जिससे उसकी चाची और मौसी की मौत हो गई और वकील और वो खुद गंभीर रूप से घायल हो गए। कुलदीप सिंह सेंगर पर इस सिलसिले में हत्या और आपराधिक साजिश रचने का केस दर्ज किया गया है।

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