मेघालय खदान में फंसे मजदूरों को निकालने का प्रयास जारी, दल और उपकरण बढ़ाए गए : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
मेघालय के जयंतिया हिल्स जिले में अवैध कोयला खदान में फंसे मजदूरों को तुरंत निकालने की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उक्त खदान से मजदूरों को निकालने के प्रयास लगातार जारी हैं और वहां पर संसाधनों व मैनपॉवर की संख्या बढ़ाई गई है।
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि नेवी ने भी आज विशेष उपकरणों व विशेषज्ञ गोताखोरों की संख्या बढ़ाई है।
इस वक्त NDRF, नेवी और ओडिशा फायर एंड रेस्क्यू सर्विस के जवानों समेत 200 से ज्यादा लोग इस राहत कार्य में जुटे हैं।
हालांकि, इस दौरान याचिकाकर्ता ने यह कहा कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शाम को पांच बजे बचाव कार्य रोक दिया जाता है। इसे लेकर वो कुछ सुझाव देंगे। इस पर पीठ ने कहा कि ये सुझाव प्रतिवादियों के साथ साझा किए जाएं और पीठ इसकी सुनवाई 11 जनवरी को करेगी।
4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए. के. सीकरी और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने केंद्र और मेघालय सरकार से कहा था कि वो यह बताएं कि इस संबंध में उनके द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं।
पीठ ने कहा था कि भले ही खदान अवैध हो लेकिन मजदूरों को नुकसान नहीं होना चाहिए। सरकार, खदान मालिक के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है लेकिन मजदूरों को हर कीमत पर बचाया जाना चाहिए।
इस दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए SG तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि दो मुख्य परेशानियों की वजह से राहत कार्य में दिक्कत आ रही है। पहली दिक्कत यह है कि नदी से पानी का रिसाव हो रहा है जिसे रोका नहीं जा पा रहा है। दूसरी दिक्कत यह है कि थाईलैंड और यहां के हालात बिल्कुल अलग हैं क्योंकि वहां गुफा का ब्लूप्रिंट मौजूद है, जबकि मेघालय में ये अवैध खदान है और इसका कोई ब्लूप्रिंट उपलब्ध नहीं है।
SG ने यह भी कहा कि NDRF के चीफ और नेवी के गोताखोर भी वहां मौजूद हैं।
वहीं याचिकाकर्ता आदित्य एन. प्रसाद की ओर से कहा गया कि खदान से पानी निकालने के लिए केवल 25 हाई पावर पंप ही इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान, पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए SG तुषार मेहता से कहा था कि एक- एक सेकेंड कीमती है।अगर थाईलैंड में हाई पावर पंप इस्तेमाल किए जा सकते हैं तो भारत में क्यों नहीं। ऐसे में तुरंत प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।
वहीं पीठ के सामने तुषार मेहता ने यह भरोसा दिलाया था कि इस संबंध में केंद्र के एक अधिकारी को नोडल अफसर बनाया जा रहा है। सारी एजेंसियों के बीच अच्छा तालमेल है और सेना की जगह वहां नौसेना के गोताखोरों को लगाया गया है।
इससे पहले सुबह की सुनवाई में पीठ ने मेघालय सरकार की कार्रवाई पर असंतोष जताते हुए कहा था कि मजदूर इतने दिन से फंसे हुए हैं और इसको लेकर राज्य सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए? भले ही कोई जिंदा हो या मृत हो, हमारी प्रार्थना है कि सब जिंदा हों, उन्हें तुरंत बाहर निकाला जाना चाहिए। पीठ ने केंद्र के लॉ अफसर को कोर्ट में पेश होने के लिए निर्देश दिए थे।
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने कहा कि राहत कार्य में जुटी एजेंसियों के बीच तालमेल नहीं है। सेना को ऑपरेशन में शामिल नहीं किया गया। हाई पावर पंप भी इस्तेमाल नहीं किए गए।
दरअसल मेघालय के जयंतिया हिल्स जिले में अवैध कोयला खदान में फंसे मजदूरों को सकुशल बाहर निकालने के कदम उठाने के निर्देश जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मांग की गई है कि देशभर में ऐसे मामलों से निपटने के लिए तय नियम प्रक्रिया बनाई जानी चाहिए और थाईलैंड की तर्ज पर राहत का काम होना चाहिए।
गौरतलब है कि करीब 15 मजदूर, 13 दिसंबर को एक कोयला खदान में फंस गए थे। खदान में फंसे लोगों को बचाने के लिए एनडीआरएफ की टीमें मौके पर मौजूद हैं। एनडीआरएफ ने स्थानीय प्रशासन से कम से कम दस 100-एचपी पंप की मांग की थी, लेकिन अब तक उस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।
एनडीआरएफ के अधिकारियों का कहना है कि बीते 14 दिन में खदान में फंसे लोगों के 3 हेलमेट ही मिल पाए हैं। लगभग 300 फीट गहरी इस खदान में फंसे लोगों के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल सकी है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, खदान में घुसे लोगों में से किसी ने गलती से नदी के नजदीक वाली दीवार तोड़ दी, जिससे सुरंग में पानी भर गया।