[साक्षात्कार] "मेरी हार्वर्ड की डिग्री हाशिये पर पड़े करोड़ो लोगों की आकांक्षाओं का प्रतीक है": अनुराग भास्कर
अनुराग: हां, बिल्कुल। मैं दलित समुदाय से हूं। यह मेरी पहचानों में से एक है, लेकिन इसने मेरे जीवन में विकल्पों को को चुनने में प्रमुख रूप से प्रभावित किया । हार्वर्ड में आना केवल मेरे अपने बारे में ही नहीं था। व्यक्तिगत रूप से और पेशेवर रूप से मुझे मिले एक्सपोज़र के अलावा, हार्वर्ड तक की पढ़ाई की मेरी यात्रा करोड़ो लोगों की आकांक्षाओं की प्रतीक है, जो आज भी समाज के हाशिये पर जीने के लिए मजबूर हैं। हार्वर्ड से हासिल हुई मेरी LLM डिग्री, डॉ. पायल तडवी को श्रद्धांजलि है, जिसने जातिगत भेदभाव के कारण अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूर्ण कर पाने से पहले ही आत्महत्या कर ली थी। मेरी LLM डिग्री, रोहित वेमुला के लिए एक श्रद्धांजलि है, जिसका आत्महत्या पत्र, एक राष्ट्र के रूप में हमारे नैतिक विवेक को यह याद दिलाता रहेगा कि हमें अपने समाज में मौजूद पूर्वाग्रहों को खत्म करना होगा। मेरी LLM डिग्री, निचली जातियों के लोगों के लिए है, जिनकी हत्या घोड़े की सवारी करने, मूंछ रखने और ऐसे अन्य कई दैनिक अत्याचारों के चलते की गई है। यह उन दलितों के लिए है, जिन्हें सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पानी की पहुँच से वंचित किया गया है या जिन्हें फोनी चक्रवात के बाद उड़ीसा में आश्रयों में प्रवेश एवं राहत पैकेज से वंचित किया गया था। मुझे उम्मीद है कि हार्वर्ड से मेरा स्नातक अन्य लोगों को प्रेरित करेगा, जिसमें 14 साल की छोटी सुनैना भी शामिल है - जिसकी कहानी हाल ही में एनडीटीवी के प्रणय रॉय ने लोकसभा चुनाव के दौरान दिखाई थी। मुझे उम्मीद है कि हार्वर्ड से मेरा स्नातक करना, सभी को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करेगा।
लाइव लॉ ने अनुराग भास्कर (LL.M.19, हार्वर्ड लॉ स्कूल) से लॉ को एक कैरियर के रूप में चुनने के उनके फैसले, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ के साथ एक लॉ क्लर्क के रूप में उनका अनुभव, हार्वर्ड तक की यात्रा, एलएलएम प्रवेश प्रक्रिया, और उनकी भविष्य की योजना के बारे में बात की।
अनुराग भास्कर ने अभी-अभी हार्वर्ड लॉ स्कूल से अपनी एलएलएम डिग्री हासिल की है। इससे पहले, उन्होंने अपने बी.ए. एलएलबी (ऑनर्स) की पढ़ाई 2012-17 के दौरान डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (RMLNLU) लखनऊ से पूरी की। जुलाई 2017-18 के दौरान डॉ. जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ (जज, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया) के मार्गदर्शन में लॉ क्लर्क/ रिसर्चर के रूप में कार्य किया। इसके अलावा, अनुराग एक शानदार टिप्पणीकार हैं और उनके नाम के अंतर्गत कई अकादमिक लेख और टिप्पणियां प्रकाशित हुई हैं। उन्होंने द वायर, लाइव लॉ, द प्रिंट और ईपीडब्ल्यू में कई लेख लिखे हैं। लाइव लॉ ने लॉ को एक कैरियर के रूप में चुनने के उनके फैसले, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ के साथ एक लॉ क्लर्क के रूप में उनका अनुभव, हार्वर्ड की यात्रा, एलएलएम, प्रवेश प्रक्रिया, और उनकी भविष्य की योजना के बारे में बात की।
लाइव लॉ: सबसे पहले, हार्वर्ड लॉ स्कूल से अपने एलएलएम को पूरा करने के लिए बधाई। अभी आप कैसा महसूस कर रहे हैं?
अनुराग: मुझे लगता है कि यह अभिभूत करने वाला अनुभव है। मेरा दीक्षांत समारोह 30 मई को हुआ था और मुझे वास्तव में यह समझने में लगभग एक सप्ताह का समय लगा कि मैंने हार्वर्ड लॉ स्कूल में अपनी शिक्षा पूरी कर ली है। 2 वर्ष पहले, मैंने हार्वर्ड लॉ स्कूल में पढ़ाई करने या यहां तक कि अमेरिका में आने के बारे में नहीं सोचा था। 1980 के दशक के उत्तरार्ध में अपने संघर्षपूर्ण दौर में, मेरे पिता नौकरी की तलाश में उन्नाव जिले (उत्तर प्रदेश में) के एक छोटे से गाँव से लखनऊ शहर तक की लगभग 40 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय किया करते थे। उस समय उनके लिए लखनऊ आना विदेश जाने के बराबर था । लखनऊ में पढ़ाई के दौरान काम के लिए दिल्ली जाने के बारे में सोचना भी मेरे लिए विदेश में जाने जैसा था। इसलिए हार्वर्ड जाना मेरे और मेरे परिवार के लिए एक लंबी यात्रा रही है। इस प्रकार, मेरी वर्तमान में मिश्रित भावनाएं हैं।
लाइव लॉ: आपने करियर के रूप में लॉ का चुनाव क्यों किया? क्या आपके परिवार में कोई व्यक्ति कानूनी पेशे में है?
अनुराग: नहीं! मैं पहली पीढ़ी का वकील हूं।
कानून को एक करियर के रूप में चुनने का मेरा निर्णय प्रमुख रूप से एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, से प्रेरित है। मेरे स्कूल के दिनों के दौरान, डॉ. अम्बेडकर की भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता होने की छवि ने मुझे आकर्षित किया , जिस वजह से फिर मैंने कानून को सामाजिक परिवर्तन के एक साधन के रूप में समझने के लिए कानून की पढ़ाई करने का निर्णय लिया | लेकिन कानून का क्षेत्र चुनना आसान नहीं था। मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं इंजीनियरिंग करूं। अक्सर, मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग और आर्थिक रूप से या सामाजिक रूप से कमजोर लोगों की पहली लड़ाई अपने घर से शुरू होती है - अपने माता-पिता को अपनी पसंद के कैरियर के बारे में आश्वस्त करना। मैं अपने माता-पिता का बहुत आभारी हूं कि अंत में उन्होंने मुझे जीवन में अपना मार्ग प्रशस्त करने में समर्थन किया |
लाइव लॉ: RMLNLU में आपका लॉ स्कूल का अनुभव कैसा रहा?
अनुराग: काफी समृद्ध! मेरे सामाजिक न्याय के प्रेरणा स्रोत डॉ. राम मनोहर लोहिया के जीवन एवं विचारों से मेरा परिचय कराने से लेक मुझे मेरी अपनी क्षमता को बढाने में मदद करने तक, RMLNLU (लखनऊ) ने मुझे बहुत प्रभावित किया है। विश्वविद्यालय का इन्फ्रास्ट्रक्चर देश के सबसे अच्छे कैंपस इन्फ्रास्ट्रक्चर में से एक है। विश्वविद्यालय का लाइब्रेरी डेटाबेस काफी संसाधनपूर्ण है। विश्वविद्यालय के पास कुछ अद्भुत शिक्षक हैं। हालाँकि, मुझे अभी भी लगता है कि एक संस्थान के रूप में RMLNLU को अपनी पूरी क्षमता का एहसास करना बाकी है। विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान मैंने कुछ अच्छे दोस्त भी बनाए, जो इन सभी वर्षों में मेरे साथ रहे हैं और मेरा समर्थन किया है।
लाइव लॉ: RMLNLU में अपने समय के दौरान किए गए पाठ्येतर गतिविधियों के बारे में बताएं।
अनुराग: सामान्य धारणाओं के विपरीत, मैंने कभी भी मूट या डिबेट कार्यक्रम में भाग नहीं लिया। चूँकि मैं हिंदी भाषी पृष्ठभूमि से आया था, इसलिए मैं अंग्रेजी बोलने में सहज नहीं था और इस कारण से, मैं उन प्रतियोगिताओं/आयोजनों में भाग लेने में झिझकता था जिनमें सार्वजनिक रूप से बोलना शामिल था। हालांकि, इससे सीमित होने के बजाय, मैंने अपनी अन्य क्षमताओं पर अपना ध्यान केंद्रित किया।
मैं RMLNLU में बहुत सारे कार्यक्रम आयोजित करने में सक्रिय रूप से शामिल था, जिसने न केवल मुझे नेतृत्व और नेटवर्किंग क्षमता विकसित करने में मदद की, बल्कि मुझे इस क्षेत्र में अद्भुत काम करने वाले कार्यकर्ताओं और अधिकारियों के साथ संपर्क में लाया। मैं विशेष रूप से डॉ. संदीप पांडे (मैगसेसे अवार्डी - 2002, जो वंचित बच्चों के लिए शिक्षा के अधिकार के लिए काम करते हैं) और श्रीमती जूही सिंह (पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग) के साथ अपने काम को याद करता हूं। मैं एक फील्ड-आधारित इंटर्नशिप को बहुत महत्व देता हूं, जिसे मैंने श्री आदित्य श्रीवास्तव (एक मानवाधिकार वकील) के मार्गदर्शन में की थी, जिसके चलते मेरा बुंदेलखंड क्षेत्र में किसान आत्महत्याओं की घटनाओं और कारणों का दस्तावेजीकरण करने के लिए उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में जाना हुआ था। मैंने डॉ. के ए पांडे (एसोसिएट प्रोफेसर, RMLNLU) के साथ मिलकर भारत में बाल संरक्षण संस्थानों का पहला 'सोशल ऑडिट' करने का काम किया। संगठनात्मक क्षमता के अलावा, मैंने अपने शोध और लेखन क्षमता पर भी ध्यान केंद्रित किया। लॉ स्कूल के अंतिम वर्ष में, मेरे 4 लेख प्रतिष्ठित 'इकनोमिक एन्ड पोलिटिकल वीकली' में प्रकाशन के लिए चुने गए थे।
लाइव लॉ: आपने RMLNLU में अपने लॉ स्कूल के दौरान 7 अलग-अलग जजों के साथ इंटर्नशिप की थी। वह क्या कारण था जिसके चलते आपने न्यायाधीशों के साथ इतने इंटर्नशिप किए?
अनुराग: मैंने अपने तीसरे सेमेस्टर के बाद पहली बार किसी जज के साथ इंटर्नशिप की। वह इंटर्नशिप इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा (अब सेवानिवृत्त) के साथ थी। उनके साथ की गई बातचीत ने मेरी रुचि न्यायाधीशों द्वारा किए जाने कार्यों में विकसित की। मैंने फिर कार्य सीखने के लिए अन्य न्यायाधीशों के साथ इंटर्न करने का फैसला किया। मुझे उनके काम में योगदान देने में खुशी महसूस हुई। फिल्म 'फिलाडेल्फिया' में एक संवाद ऐसा है, "कभी-कभी आपको न्याय का एक हिस्सा बनने का अवसर मिलता है। ऐसा होने पर वास्तव में काफी रोमांच होता है।" इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में अलग- अलग अधिकार-क्षेत्र संभालने वाले न्यायाधीशों के यहां आवेदन दिया ताकि मैं विभिन्न प्रकार के मामलों को देख सकूं। मैंने विशेष रूप से सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और लखनऊ बेंच में जस्टिस देवेंद्र उपाध्याय, राजन रॉय और ए. आर. मसूदी के मार्गदर्शन में इंटर्नशिप का अच्छा अनुभव लिया।
लाइव लॉ : क्या सुप्रीम कोर्ट में एक साल की क्लर्कशिप करने का यही कारण था?
अनुराग: मुख्य कारण जिसके चलते मैंने सुप्रीम कोर्ट में क्लर्कशिप के लिए आवेदन किया था, वह यह था कि मैं न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ के साथ काम करना चाहता था, जो मेरे लिए तबसे एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व रहे हैं, जब मैंने उन्हें नवंबर 2013 में पहली बार सुना था, जब वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर RMLNLU के दीक्षांत समारोह में आए थे। शायद, अगर यह सीधे उनसे सीखने का अवसर नहीं होता तो मैंने उस दौरान कुछ और किया होता।
लाइव लॉ: जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ के मार्गदर्शन में लॉ क्लर्क के रूप में काम करने का आपका अनुभव कैसा रहा?
अनुराग: मुझे लगता है कि यह असाधारण अनुभव था। मुझे लगता है कि मैं सबसे भाग्यशाली लॉ क्लर्कों में से एक रहा हूं। मुझे काफी सारे ऐतिहासिक संवैधानिक मामलों पर काम करने का मौका मिला, जिनकी सुनवाई जुलाई 2017 - 18 के बीच हुई थी । इसके अलावा, मुझे जस्टिस चंद्रचूड़ के अनुभवों से भी बहुत कुछ सीखने को मिला, जिसे वो अक्सर अपने लॉ क्लर्क के साथ साझा करते थे। एक किस्सा है, जो मुझे लगता है कि, जस्टिस चंद्रचूड़ मुझे यहाँ साझा करने से मना नहीं करेंगे।
एक बार उन्होंने उन दिनों के बारे में एक किस्सा सुनाया जब उनके पिता, दिवंगत न्यायमूर्ति वाई. वी. चंद्रचूड़, एक युवा वकील थे। वाई. वी. चंद्रचूड़ अक्सर मुंबई में एक कैफे (शायद काला घोड़ा कैफे/वेयसाइड इन) में जाते थे, और वो वहां एक व्यक्ति को देखते थे जो पूरे दोपहर वहां बैठा रहता था और अपने विचारों को लिखकर, नोट्स बनाता था। वह शख्स कोई और नहीं, बल्कि डॉ. अंबेडकर थे। न्यायमूर्ति वाई. वी. चंद्रचूड़ अक्सर स्नेहपूर्वक यह भी याद करते थे कि उन्हें एक बार एक मामले में डॉ. अंबेडकर के विरुद्ध बहस करने का मौका मिला था ।
लाइव लॉ: पिछले साल सितंबर 2018 में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने विज्ञान भवन में अपने एक भाषण में आपके बारे में उल्लेख किया। उन्होंने आपकी सामाजिक पृष्ठभूमि के बारे में बात की। यदि आप सहज हैं, तो कृपया हमारे पाठकों के साथ कुछ साझा करें।
अनुराग: हां, बिल्कुल। मैं दलित समुदाय से हूं। यह मेरी पहचानों में से एक है, लेकिन इसने मेरे जीवन में विकल्पों को को चुनने में प्रमुख रूप से प्रभावित किया । हार्वर्ड में आना केवल मेरे अपने बारे में ही नहीं था। व्यक्तिगत रूप से और पेशेवर रूप से मुझे मिले एक्सपोज़र के अलावा, हार्वर्ड तक की पढ़ाई की मेरी यात्रा करोड़ो लोगों की आकांक्षाओं की प्रतीक है, जो आज भी समाज के हाशिये पर जीने के लिए मजबूर हैं। हार्वर्ड से हासिल हुई मेरी LLM डिग्री, डॉ. पायल तडवी को श्रद्धांजलि है, जिसने जातिगत भेदभाव के कारण अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूर्ण कर पाने से पहले ही आत्महत्या कर ली थी। मेरी LLM डिग्री, रोहित वेमुला के लिए एक श्रद्धांजलि है, जिसका आत्महत्या पत्र, एक राष्ट्र के रूप में हमारे नैतिक विवेक को यह याद दिलाता रहेगा कि हमें अपने समाज में मौजूद पूर्वाग्रहों को खत्म करना होगा। मेरी LLM डिग्री, निचली जातियों के लोगों के लिए है, जिनकी हत्या घोड़े की सवारी करने, मूंछ रखने और ऐसे अन्य कई दैनिक अत्याचारों के चलते की गई है। यह उन दलितों के लिए है, जिन्हें सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पानी की पहुँच से वंचित किया गया है या जिन्हें फोनी चक्रवात के बाद उड़ीसा में आश्रयों में प्रवेश एवं राहत पैकेज से वंचित किया गया था। मुझे उम्मीद है कि हार्वर्ड से मेरा स्नातक अन्य लोगों को प्रेरित करेगा, जिसमें 14 साल की छोटी सुनैना भी शामिल है - जिसकी कहानी हाल ही में एनडीटीवी के प्रणय रॉय ने लोकसभा चुनाव के दौरान दिखाई थी। मुझे उम्मीद है कि हार्वर्ड से मेरा स्नातक करना, सभी को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करेगा।
लाइव लॉ: हार्वर्ड लॉ स्कूल में LLM के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया के बारे में हमारे पाठकों को बताएं। ।
अनुराग: हार्वर्ड लॉ स्कूल के लिए पात्रता आवश्यकताएँ और प्रवेश मानदंड उनकी वेबसाइट पर वर्णित हैं। आवेदन की समय सीमा और सामग्री के बारे में जानकारी पर देखी जा सकती है। ऑनलाइन आवेदन पत्र के अलावा, एक अभ्यर्थी को सीवी/ बायोडाटा; 'पर्सनल स्टेटमेंट' प्रश्न; ट्रांसक्रिप्ट; और कम से कम दो 'रिकमेंडेशन लेटर' की आवश्यकता होगी। 'पर्सनल स्टेटमेंट' प्रश्न को दो भागों, ए और बी पार्ट में विभाजित किया गया है. भाग ए कानूनी निबंध (लीगल एस्से) भाग है, जिसमें आवेदकों को या तो अपनी रूचि के अनुसार किसी मुद्दे पर या किसी देश में चल रही एक वर्तमान कानूनी समस्या का वर्णन करने की आवश्यकता होती है, और फिर इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए एक सैद्धांतिक रूपरेखा या कानूनी विश्लेषण या रणनीति का प्रस्ताव देना होता है। कानूनी निबंध (लीगल एस्से) को विशुद्ध रूप से वर्णनात्मक होने के बजाय अधिक प्रामाणिक/विश्लेषणात्मक होने की आवश्यकता होती है। इस भाग में मोलिकता और कानूनी मुद्दे की गहन समझ होनी चाहिए। इसमें उपयुक्त संदर्भ/उद्धरण शामिल होने चाहिए और, यदि आवश्यक हो तो, व्याख्यात्मक फुटनोट्स भी होने चाहिए। पार्ट बी एक पारंपरिक LLM 'पर्सनल स्टेटमेंट' के समान है। इस भाग के लिए आवेदकों को यह चर्चा करने की आवश्यकता है कि वे हार्वर्ड से LLM क्यों करना चाहते हैं और ऐसा करना उनकी अतीत की गतिविधियों और उनकी भविष्य की योजनाओं को एक साथ कैसे जोड़ता है। भाग बी के अंतर्गत एक मनोरम व्यक्तिगत कहानी की पेशकश की जानी चाहिए। आम तौर पर सफल उम्मीदवारों , जिनमे मै भी शामिल हूँ, पार्ट बी को कानून के किसी विशिष्ट पहलू में अपनी रुचि या अपने द्वारा किए गए कार्यों से जोड़ते हैं | मूल रूप से, आवेदक को यह समझाना होगा: (1) आप LLM क्यों करना चाहते हैं, (2) आप किन पाठ्यक्रमों को पढ़ना चाहते हैं और क्यों, (3) आप कैसे अन्य उम्मीदवारों से अलग हैं, (4) आखिर हार्वर्ड द्वारा आपको क्यों चुना जाए, और (5) कैसे आप जिस शिक्षा को प्राप्त करने की उम्मीद कर रहे हैं, वह शिक्षा आपके परे, किसको लाभान्वित करेगी। यदि आवेदक को विशिष्ट प्रोफेसर के साथ काम करने में वास्तविक रुचि है, तो इसे उचित रूप से हाइलाइट किया जा सकता है या जोड़ा जा सकता है। दोनों भागों, ए और बी, को एक साथ 1500 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए। हार्वर्ड LLM आवेदन में उम्मीदवारों को 2 अन्य सवालों के जवाब देने की आवश्यकता होती है। पहला, कानून के विशिष्ट व्यापक क्षेत्रों में से एक को चुनना, और यह समझाना: "कृपया हमें बताएं कि आप इन क्षेत्रों में क्यों रुचि रखते हैं और वे आपके कैरियर के लक्ष्यों से कैसे संबंधित हैं। (नोट: कृपया अपनी प्रतिक्रिया को 1500 से अधिक वर्णों तक सीमित करें। बस अपने 'पर्सनल स्टेटमेंट' का संदर्भ न लें)। दूसरा सवाल यह है: "कृपया अपनी योजनाओं पर विस्तृत चर्चा करें। आप किस देश (या देशों) में अपने करियर को आगे बढ़ाने का इरादा रखते हैं? (नोट: कृपया अपनी प्रतिक्रिया को 1500 से अधिक वर्णों तक सीमित करें। कृपया केवल अपने व्यक्तिगत विवरण का संदर्भ न दें।)
लाइव लॉ: हमारे पाठकों के साथ प्रवेश प्रक्रिया के बारे में जानकारी और अपनी अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए धन्यवाद। क्या हार्वर्ड लॉ स्कूल भारतीय छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करता है?
अनुराग: हार्वर्ड लॉ स्कूल छात्रों को जरूरत-आधारित वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जिनके पास हार्वर्ड में पढ़ने करने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं हैं। मुझे हार्वर्ड से 52000 डॉलर (लगभग 36 लाख रुपये) की वित्तीय सहायता मिली थी, जिसने मेरे शिक्षण शुल्क का 80% हिस्सा कवर किया था। बाकी बचे हिस्से को बैंक ऋण द्वारा कवर किया। आवेदक हार्वर्ड वित्तीय सहायता के अलावा, निश्चित रूप से अन्य छात्रवृत्ति विकल्पों जैसे कि इनक्लास छात्रवृत्ति, फुलब्राइट और अन्य ब्याज मुक्त ऋण छात्रवृत्ति (टाटा एंडोमेंट, आदि) के बारे में जानकारी गूगल पर सकते हैं।
लाइव लॉ: कृपया हार्वर्ड लॉ स्कूल में अपने अनुभव के बारे में बताएं।
अनुराग: हार्वर्ड लॉ स्कूल में पढ़ना मेरा सपना था, और अपने सपने को जी पाना दुनिया की सबसे अच्छी भावनाओं में से एक है।
हार्वर्ड के पास आपको देने के लिए बहुत सारे अद्भुत अवसर हैं, लेकिन वास्तव में LLM के 9.5 महीनों के कम समय के भीतर उन सभी अवसरों का उपयोग कर पाना और उन सभी का पता लगाना, एक जटिल कार्य है। जैसे मेरे एक बैच के साथी ने कहा, "आपको हार्वर्ड के सभी छोरों तक पहुँचने के लिए एक ऑक्टोपस होने की आवश्यकता है, तब आप यह अनुभव कर सकेंगे कि वहां क्या अवसर मौजूद हैं"। मैं कुछ दिग्गज प्रोफेसरों के द्वारा पढ़ाए जाने पर खुदको भाग्यशाली महसूस करता हूं। कक्षाओं के अलावा, मुझे अपने बैच के साथियों से भी बहुत कुछ सीखने को मिला जो विभिन्न संस्कृतियों और सामाजिक पृष्ठभूमि से आए थे। मेरे बैच में 65 अलग-अलग देशों के छात्र शामिल थे, जिसमें उनकी पृष्ठभूमि विभिन्न क्षेत्रों जैसे लॉ टीचिंग और रिसर्च, सरकारी सेवा, न्यायपालिका, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, गैर-सरकारी संगठन और निजी प्रैक्टिस की थी।
उदाहरण के लिए, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं आशुतोष सलिल (महाराष्ट्र कैडर के एक परिश्रमी प्रेरणादायक नौकरशाह), शीला सैल (एक 50 वर्षीय पुलिस आयुक्त, महाराष्ट्र से) और कई अन्य प्रेरणादायक लोगों के साथ, जो अपने-अपने देशों में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, पढ़ाई करूंगा और कक्षा साझा करूँगा। एक अभ्यर्थी, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अन्य स्कूलों (जैसे केनेडी स्कूल, आदि) और फ्लेचर स्कूल के पाठ्यक्रमों में भी खुदको पंजीकृत कर सकता है। इसकी वजह से हार्वर्ड लॉ स्कूल के छात्रों को अन्य स्कूलों में विभिन्न पाठ्यक्रमों से सम्बद्ध छात्रों के संपर्क में रहने का अवसर प्रदान करता है। अमेरिका में आने की वजह से मुझे प्रोफेसर माइकल सैंडल (हमारे समय के दार्शनिक) और डॉ. रघुराम राजन (आरबीआई के पूर्व गवर्नर) से मिलने और बातचीत करने का अवसर मिला, जिनके लेखों को मैंने हमेशा पसंद किया है।
लाइव लॉ: हार्वर्ड लॉ स्कूल में आपने कौन से कोर्स किए?
अनुराग: मैंने फॉल 2018 (सितंबर-दिसंबर) में निम्नलिखित कोर्स लिए: प्रोफेसर डेविड विल्किंस के साथ 'कानूनी पेशा' (Legal Profession); प्रोफेसर जीनि सुक गर्सन के साथ 'संवैधानिक कानून: शक्तियों का विभाजन, संघवाद और चौदहवा संशोधन' (Constitutional Law: Separation of Powers, Federalism, and Fourteenth Amendment); प्रोफेसर लूसी व्हाइट के साथ 'गरीबी, मानवाधिकार और विकास' (Poverty, Human Rights and Development) और प्रोफेसर स्टेफनी रॉबिन्सन के साथ 'From Color Line to Colorblind to Color Redefined: America's Struggle with Changing Conceptions of Race'। स्प्रिंग 2019 (फरवरी-अप्रैल) में, मैंने निम्नलिखित कोर्सों को चुना: प्रोफेसर माइकल क्लारमैन के साथ 'संवैधानिक इतिहास II: पुनर्निर्माण से नागरिक अधिकार आंदोलन तक (Constitutional History II: From Reconstruction to the Civil Rights movement); प्रोफेसर लॉरेंस लेसिग के साथ 'तुलनात्मक संवैधानिक कानून' (Comparative Constitutional Law); प्रोफेसर डायने रोसेनफेल्ड के साथ 'जेंडर वायलेंस, लॉ एंड सोशल जस्टिस' (Gender Violence, Law and Social Justice) और प्रोफेसर रॉबर्टो उंगेर और प्रोफेसर माइकल पुएट के साथ 'द कंडक्ट ऑफ लाइफ इन वेस्टर्न एंड ईस्टर्न फिलॉसफी' नामक दर्शन पर एक कोर्स किया।
लाइव लॉ: हार्वर्ड लॉ स्कूल में आपकी पसंदीदा स्मृति क्या है?
अनुराग: हार्वर्ड का पूरा अनुभव यादगार रहा है। लेकिन, कुछ उदाहरण वास्तव में शक्तिशाली और प्रेरक रहे हैं। मैं 3 विशेष पलों को साझा करना चाहूंगा। पहला इस प्रकार है:
फॉल 2018 में संवैधानिक कानून की मेरे अंतिम क्लास को प्रोफेसर जीनि सुक गर्सन ने बहुत शक्तिशाली नोट पर समाप्त किया। उन्होंने समकालीन समय में संवैधानिक संकट और संवैधानिक कानून के प्रैक्टिशनर के रूप में हमारी क्या भूमिका होनी चाहिए, इसके बारे में बात की । संविधान के महत्व के बारे में बात करने में वह इतनी भावुक हो गई, कि वह लगभग रोने लगी, और उन्होंने इस नोट के साथ कक्षा को समाप्त कर दिया, "यह संविधान है जो हमारे और अत्याचार के बीच एक सीमा के रूप में कार्य करता है"। संविधान की रक्षा करने की इस लगन और लगाव ने मुझे शिक्षक के साथ-साथ हमारी जिम्मेदारी के बारे में भी बहुत कुछ सिखाया।
दूसरा पल, स्नातक बैच के लिए 'लास्ट लेक्चर' का है, जो अप्रैल 2019 में प्रोफेसर माइकल क्लारमैन द्वारा दिया गया। प्रोफेसर क्लारमैन ने कहा कि नागरिक अधिकारों के लिए अग्रणी वकीलों का कार्य, आज की सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में आशा पैदा करता है, जब हमारी पीढ़ी का सामना कई चुनौतियों से है| प्रोफेसर क्लारमैन का नागरिक अधिकारों पर काम हमेशा प्रेरणादायक रहा है।
मेरी तीसरी पसंदीदा स्मृति पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रति मेरे आदर के बारे में है। चूंकि उन्होंने वर्ष 1990 के दशक में हार्वर्ड लॉ स्कूल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी, इसलिए जिन प्रोफेसरों ने उन्हें पढ़ाया था, मैं उनसे ओबामा के बारे में पूछता रहता था । प्रोफेसर विल्किंस ने एक बार मुझे बताया था कि कैसे ओबामा हमेशा अपने मन में यह स्पष्ट थे कि हार्वर्ड लॉ स्कूल में पढ़ाई खत्म होने के बाद, वे समुदाय में काम करना चाहते हैं। प्रोफेसर मार्था मिनो (हार्वर्ड लॉ स्कूल की पूर्व डीन) के साथ एक बातचीत के दौरान, उन्होंने साझा किया कि बराक ओबामा कक्षा में कम बोलते थे, लेकिन जब भी वे बात करते थे, वो ऐसे विश्वास के साथ करते थे कि लोग उन्हें चुपचाप सुनते थे। इन उदाहरणों के अलावा, मेरे कुछ पसंदीदा प्रोफेसरों के साथ दोपहर के भोजन के लिए बाहर जाना हमेशा मेरी स्मृति में कैद रहेगा।
लाइव लॉ: आप हार्वर्ड लॉ स्कूल से LLM करने वाले RMLNLU के पहले छात्र हैं। संभवतः, आप दलित समुदाय से, हार्वर्ड लॉ स्कूल की LLM डिग्री प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति भी हैं। आप इसके बारे में कैसा महसूस करते हैं?
अनुराग: इस इस सवाल का बेहतर उत्तर देने के लिए, टोबी मेगोइर की 'स्पाइडर-मैन' फिल्म से एक पसंदीदा संवाद को उद्धृत करना चाहूंगा, जहां पीटर पार्कर कहता हैं, "जीवन में आगे चाहे कुछ भी हो, मैं इन शब्दों को कभी नहीं भूलूंगा: महान शक्ति के साथ, महान ज़िम्मेदारी भी आती है" (Whatever life holds in store for me, I will never forget these words: With great power, comes great responsibility)। मुझे लगता है कि यह सफलता और उपलब्धियों पर भी लागू होता है।
हर सफलता के साथ, बड़ी जिम्मेदारी आती है। साथ ही मुझे लगता है कि जिन लोगों ने आपका समर्थन किया है उन्हें धन्यवाद् देना अत्यावश्यक है। मैं विशेष रूप से 6 महिलाओं को धन्यवाद देना चाहूंगा, जो मेरी हार्वर्ड प्रवेश प्रक्रिया के दौरान मेरे निरंतर मार्गदर्शक और समर्थक थीं : डॉ. पूनम जयंत सिंह, डॉ. पूजा अवस्थी, दिव्या त्रिपाठी, अपूर्वा विश्वनाथ, श्री अग्निहोत्री और सविता देवी।
लाइव लॉ: आपकी भविष्य की योजनाएं क्या हैं?
अनुराग: हर दिन, हम सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करते समय हमारे नागरिकों की मृत्यु के बारे में समाचार पढ़ते हैं। हम भूख के कारण अपने नागरिकों की मृत्यु के बारे में पढ़ते हैं। इसी तरह की कई समस्याएं हैं जिनके लिए विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ काम करने की आवश्यकता होती है। इसलिए मुझे शिक्षण, लिटिगेशन, नीति और राजनीति में काम करने में दिलचस्पी है। इन चारों का सक्रिय हिस्सा होना वास्तव में असंभव है और इन सभी क्षेत्रों में काम को संतुलित करने के लिए मुझे कई मील के पत्थर ढूँढ़ने होंगे। जैसा कि प्रोफेसर रिचर्ड लाजर ने मई 29 हार्वर्ड लॉ स्कूल के 2019 कक्षा दिवस समारोह के दौरान अपने मुख्य भाषण में उल्लेख किया था, "अपने हार्वर्ड लॉ स्कूल की डिग्री द्वारा अपने जीवन को न मापें, बल्कि आप इसके साथ क्या करते हैं इससे नापें।" इसलिए मैं भारत में काम करने का इंतज़ार कर रहा हूं ।
लाइव लॉ: हम आपको शुभकामनाएँ देते हैं।
अनुराग: धन्यवाद।