कोविड लॉकडाउन: जानिए मिथ्या दावे (FalseClaim) एवं चेतावनी (Warning) के मामलों में कौन सी परिस्थितियों में हो सकती है जेल?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (24 मार्च) रात 12 बजे से अगले 21 दिनों के लिए तीन सप्ताह के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की। पीएम ने कहा कि COVID-19 वायरस को फैलने से रोकने के लिए यह उपाय नितांत आवश्यक था।
दरअसल COVID-19 महामारी के फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत शक्तियों का उपयोग करते हुए 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की है। हालाँकि, 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान कुछ आवश्यक सामग्री और सेवाएं बंद से मुक्त रहेंगी, आप उनकी जानकारी इस लेख से प्राप्त कर सकते हैं।
21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान ये आवश्यक सामग्री और सेवाएं बंद से मुक्त रहेंगी
प्रधानमंत्री की इस घोषणा के पश्च्यात, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने मंगलवार को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 को लागू किया, ताकि देश में फैलते COVID -19 को रोकने के लिए सोशल डिसटैन्सिंग के उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005: संक्षेप में
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की वस्तु और उद्देश्य के अनुसार इसका मकसद, आपदाओं का प्रबंधन करना है, जिसमें शमन रणनीति, क्षमता-निर्माण और अन्य चीज़ें शामिल है।
आमतौर पर, एक आपदा को एक प्राकृतिक आपदा जैसे कि चक्रवात या भूकंप से समझा जा सकता है। इसके अलावा, इस अधिनियम की धारा 2 (डी) में "आपदा" की परिभाषा में यह कहा गया है कि आपदा का अर्थ है, "किसी भी क्षेत्र में प्राकृतिक या मानवकृत कारणों से या उपेक्षा से उद्भूत कोई महाविपत्ति..."।
वर्तमान महामारी के प्रकोप को दूर करने के लिए, केंद्र सरकार ने COVID -19 प्रकोप को "गंभीर चिकित्सा स्थिति या महामारी की स्थिति" के रूप में "अधिसूचित आपदा" के रूप में शामिल किया है।
दरअसल, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 10 (2) (l) के तहत यह निर्देश जारी किया गया है। इस निर्देश के अंतर्गत, भारत सरकार के सम्बद्ध मंत्रालयों या विभागों, राज्य सरकारों/संघ राज्य सरकारों और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों प्राधिकरणों को उनके द्वारा किसी आपदा की आशंका की स्थिति या आपदा के मोचन के लिए किये जाने वाले उपायों के सम्बन्ध में मार्गदर्शन सिद्धांत अध्कथित कर सकती है या निर्देश दे सकती है (यह निर्देश 21 दिनों के लिए लागू रहेंगे)।
आगे इस लेख में हम आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के उन प्रावधानों के बारे में संक्षेप में बात करेंगे, जिसके अंतर्गत मिथ्या दावे एवं मिथ्या चेतावनी के लिए दंड की व्यवस्था है। तो चलिए मिथ्या दावे एवं मिथ्या चेतावनी को समझने की शुरुवात करते हैं।
आखिर क्या है 'मिथ्या दावे' और उसके लिए दंड?
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की 'धारा 52' के अंतर्गत, 'मिथ्या दावे' को दंडनीय बनाया गया है। यह धारा कहती है:-
हिंदी में धारा 52- जो कोई जानबूझकर केंद्र सरकार, राज्य सरकार, राष्ट्रीय प्राधिकरण, राज्य प्राधिकरण, जिला प्राधिकरण के किसी अधिकारी से आपदा के परिणामस्वरूप कोई राहत, सहायता, मरम्मत, निर्माण या अन्य फायदे अभिप्राप्त करने के लिए ऐसा दावा करेगा जिसके बारे में वह यह जनता है या विश्वास करने का उसके पास कारण है कि वह मिथ्या है, तो वह दोषसिद्धि पर कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी, दंडनीय होगा।
Section 52 in English - Whoever knowingly makes a claim which he knows or has reason to believe to be false for obtaining any relief, assistance, repair, reconstruction or other benefits consequent to disaster from any officer of the Central Government, the State Government, the National Authority, the State Authority or the District Authority, shall, on conviction be punishable with imprisonment for a term which may extend to two years, and also with fine.
उदाहरण
इस धारा के अंतर्गत, वह मामले आयेंगे जहाँ यह आरोप लगाया जाए कि अभियुक्त ने कुछ ऐसा लाभ (राहत, सहायता, मरम्मत, निर्माण या अन्य फायदे) का दावा किया जोकि मिथ्या था, जैसे कि एक मामले में बाढ़ पीड़ितों हेतु वितरण के लिए लाये गए बिस्कुट को प्राप्त करने वाले व्यक्तियों (जोकि अभियोजन के मुताबिक बाढ़ पीड़ित नहीं थे) पर इस धारा को लगाया गया था।
आखिर क्या है 'मिथ्या चेतावनी' और उसके लिए दंड?
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 'धारा 54' के अंतर्गत, 'मिथ्या चेतावनी' को दंडनीय बनाया गया है। यह धारा कहती है:-
हिंदी में धारा 54 - जो कोई जिसे किसी आपदा या उसकी गंभीरता या उसके परिणाम ले सम्बन्ध में आतंकित करने वाली मिथ्या संकट – सूचना या चेतावनी देता है, तो वह दोषसिद्धि पर कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से दंडनीय होगा
Section 54 in English - Whoever makes or circulates a false alarm or warning as to disaster or its severity or magnitude, leading to panic, shall on conviction, be punishable with imprisonment which may extend to one year or with fine.
उदाहरण
इस धारा के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति ऐसा प्रयास करता है कि इस आपदा या उसकी गंभीरता के सम्बन्ध में आम जनता के बीच आतंक का फैलाव हो तो उसे इस धारा के अंतर्गत दण्डित किया जा सकता है।
उदाहरण के तौर पर, यदि कोई व्यक्ति यह कह दे कि इस महामारी से किसी शहर में हजारों लोग मारे गए हैं (जोकि असत्य है) या इस महामारी के चलते किसी शहर/प्रदेश या इलाके में राशन खत्म हो गया है (जोकि असत्य है) तो ऐसा व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत बुक किया जा सकता है।
अंत में, यह कहना आवश्यक है कि इस लेख का मकसद आप सभी पाठकगण को सजग एवं सतर्क बनाना है, जिससे आप इस महामारी से बचने के लिए अपने आप को न केवल शारीरिक रूप से सुरक्षित रखें, बल्कि आप मानसिक रूप से भी इस महामारी से लड़ने के लिए तैयार रहें।
आज के समय की यह आवश्यकता है कि आप और हम, न केवल स्वयं, बल्कि किसी और को भी इस महामारी के सम्बन्ध में कोई मिथ्या दावा न ही करने दें न ही मिथ्या चेतावनी को आगे बढाने में अपना कोई योगदान दें।