कलकत्ता हाईकोर्ट ने कथित सांप्रदायिक हिंसा पर रिपोर्ट मांगी

Update: 2024-11-06 09:37 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य की रिपोर्ट मांगी। कोलकाता के राजाबाजार इलाके में हुई कथित सांप्रदायिक हिंसा के परिणामस्वरूप हिंदू और सिख समुदाय के लोगों को कथित तौर पर निशाना बनाया गया।

चीफ जस्टिस टीएस शिवगनम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने विपक्ष के नेता और BJP विधायक सुवेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई की।

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि पूजा समारोह के दौरान राजाबाजार इलाके में भारी भीड़ जमा हो गई। विशेष समुदाय के लोग हिंदू और सिख समुदाय के लोगों पर हमला करने और पूजा पंडालों और मंदिरों को अपवित्र करने में लगे हुए थे।

दलील दी गई कि पत्थर फेंके गए और बम फेंके गए। वकील ने प्रार्थना की कि विस्फोटक पदार्थों के इस्तेमाल के कारण याचिका को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को ट्रांसफर कर दिया जाए।

चीफ जस्टिस द्वारा यह पूछे जाने पर कि इन घटनाओं की रिपोर्ट अखबारों में क्यों नहीं की गई, वकील ने दावा किया कि इस मुद्दे पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा रहा है और उनके बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए, आदि।

राज्य की ओर से पेश हुए एडवोकेट जनरल ने कहा कि पूरा मामला दो व्यक्तियों के बीच का था, जो हमलावर द्वारा तलवार और बन्दूक के इस्तेमाल के कारण भीड़ की हिंसा में बदल गया।

इसके अलावा यह भी तर्क दिया गया कि राजनेताओं को जनहित याचिका दायर करने से प्रतिबंधित नहीं किया गया लेकिन अदालत को उन लोगों की याचिका पर विचार करते समय सावधानी बरतनी चाहिए, जो रोजाना राज्य सरकार की आलोचना करने में लगे हुए हैं। यह तर्क दिया गया कि ऐसे परिदृश्यों में इन याचिकाओं का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा सकता है।

चीफ जस्टिस ने कहा,

"हमने पहले कहा था कि पहले याचिकाकर्ता (अधिकारी) को खुद को थका नहीं लेना चाहिए। वह बहुत जिम्मेदार पद पर हैं। मेरे लिए विपक्ष के नेता को याचिकाकर्ता के रूप में देखना बहुत आश्चर्यजनक है। आमतौर पर यह पार्टी के कानूनी प्रकोष्ठ का प्रमुख या ऐसा ही कुछ होता है।"

न्यायालय ने राज्य को याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इसे 19 नवंबर को सुनवाई के लिए रखा।

केस टाइटल: सुवेंदु अधिकारी बनाम पश्चिम बंगाल राज्य

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