AI Tools यूज़ करके सेलिब्रिटी वॉइस का अनधिकृत उपयोग अधिकारों का उल्लंघन: बॉम्बे हाईकोर्ट ने आशा भोसले को राहत दी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि बिना सहमति के किसी भी आवाज़ को सेलिब्रिटी की आवाज़ में बदलने की अनुमति देने वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स उपलब्ध कराना व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन है।
जस्टिस आरिफ एस. डॉक्टर प्रसिद्ध पार्श्व गायिका आशा भोसले द्वारा दायर मुकदमे की सुनवाई कर रहे थे। आशा भोसले ने उन कंपनियों के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिन पर AI-आधारित एप्लिकेशन विकसित करने और पेश करने का आरोप है, जिन्होंने गाने और अन्य सामग्री बनाने के लिए उनकी आवाज़ का क्लोन बनाया। इन एप्लिकेशन ने कथित तौर पर उनकी इमेज और समानता का इस्तेमाल उनकी अनुमति के बिना व्यापारिक वस्तुओं, पोस्टरों और ऑनलाइन प्रचार के लिए किया।
अदालत ने कहा कि आशा भोसले संगीत के क्षेत्र में एक प्रमुख हस्ती हैं। उनके व्यक्तित्व अधिकार, जिनमें उनका नाम, आवाज़, छवि, कैरिकेचर, समानता और व्यक्तित्व शामिल हैं, सुरक्षा के हकदार हैं।
अदालत ने कहा,
"मेरे प्रथम दृष्टया विचार में किसी भी आवाज़ को बिना उसकी अनुमति के किसी सेलिब्रिटी की आवाज़ में बदलने के लिए AI डिवाइस उपलब्ध कराना उस सेलिब्रिटी के व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन होगा। ऐसे डिवाइस किसी सेलिब्रिटी की आवाज़, जो उनकी व्यक्तिगत पहचान और सार्वजनिक व्यक्तित्व का एक प्रमुख घटक है, उसके अनधिकृत उपयोग और हेरफेर की सुविधा प्रदान करते हैं। यह तकनीकी शोषण न केवल व्यक्ति के अपनी पहचान और आवाज़ को नियंत्रित करने और उसकी रक्षा करने के अधिकार का उल्लंघन करता है, बल्कि उसकी पहचान के व्यावसायिक और भ्रामक उपयोग को रोकने की उसकी क्षमता को भी कमज़ोर करता है।"
यह देखते हुए कि सुविधा का संतुलन भोसले के पक्ष में है और कुछ प्रतिवादियों की अनुपस्थिति उनके अनधिकृत उपयोग के मामले का समर्थन करती है, अदालत ने राहत के लिए मजबूत प्रथम दृष्टया मामला पाया।
तदनुसार, अदालत ने प्रतिवादियों को आशा भोसले के नाम, इमेज, पहचान या आवाज़ का, चाहे AI डिवाइस के माध्यम से या अन्यथा, उनकी सहमति के बिना उपयोग करने से रोकते हुए अंतरिम राहत प्रदान की। इसने YouTube, Amazon और Flipkart जैसे प्लेटफार्मों से उल्लंघनकारी सामग्री को हटाने का भी निर्देश दिया।
Case Title: Asha Bhosle v. Mayk Inc. [Interim Application (L) NO. 30382 OF 2025 in Commercial IP Suit (L) No. 13215 of 2025]