प्लास्टिक के फूल प्रतिबंधित वस्तु नहीं: प्लास्टिक के फूलों पर प्रतिबंध लगाने की याचिका में केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया

Update: 2025-04-03 04:19 GMT
प्लास्टिक के फूल प्रतिबंधित वस्तु नहीं: प्लास्टिक के फूलों पर प्रतिबंध लगाने की याचिका में केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया

महाराष्ट्र में प्लास्टिक के फूलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका में केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि प्लास्टिक के फूलों के इस्तेमाल पर कोई प्रतिबंध नहीं है। उन्हें एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के रूप में प्रतिबंधित नहीं किया गया।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा 11 सितंबर 2023 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEFCC) को लिखे गए पत्र के मद्देनजर भारत संघ (UOI) ने यह दलील दी है, CPCB ने प्रतिबंधित एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं की सूची में प्लास्टिक के फूलों को शामिल करने का अनुरोध किया था।

ग्रोअर्स फ्लावर्स काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा दायर याचिका में प्लास्टिक के फूलों को एकल उपयोग वाली प्लास्टिक घोषित करने और उनके उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई। पिछले अवसर पर न्यायालय ने केंद्र सरकार से हलफनामा दायर करने के लिए कहा कि क्या उसने प्रतिबंधित एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक की सूची में प्लास्टिक के फूलों को शामिल करने के लिए CPCB द्वारा की गई सिफारिशों पर विचार किया।

सुनवाई के दौरान UOI का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कोर्ट को बताया कि CPCB की सिफारिश का कोई आधार नहीं है, क्योंकि इसके लिए कोई सहायक सामग्री नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार प्लास्टिक के फूलों को सिंगल यूज प्लास्टिक मानने का प्रस्ताव नहीं रखती है। उन्होंने आगे कहा कि MOEFCC ने प्लास्टिक के फूलों की उपयोगिता और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव पर विचार किया।

चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस एमएस कार्णिक की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या प्लास्टिक के फूलों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई वैधानिक प्रावधान है। कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि वह केवल तभी रिट जारी कर सकता है, जब प्लास्टिक के फूलों पर कानून में प्रतिबंध हो।

इसके जवाब में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) द्वारा जारी नोटिस के अनुसार 100 माइक्रोन से कम के सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन, वितरण और बिक्री प्रतिबंधित है। उन्होंने कहा कि CPCB, MPCB और NGT के आदेशों के अनुसार प्लास्टिक के फूलों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार के पास प्लास्टिक के फूलों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए अधिसूचना जारी करने का अधिकार है।

हालांकि, न्यायालय ने कहा कि याचिका में अधिसूचना जारी करने की मांग नहीं की गई और कहा कि प्लास्टिक के फूलों पर प्रतिबंध केवल तभी लागू किया जा सकता है, जब वैधानिक प्रतिबंध हो।

चीफ जस्टिस अराधे ने कहा कि प्रतिबंध व्याख्यात्मक प्रक्रिया से नहीं लगाया जा सकता, बल्कि तभी लगाया जा सकता है, जब प्रतिबंध लगाने का प्रावधान हो।

उन्होंने मौखिक रूप से टिप्पणी की,

"यह कहना एक बात है कि उन्हें अधिसूचना जारी करने की स्वतंत्रता है लेकिन आप हमसे प्रतिबंध लगाने के लिए कह रहे हैं। हमें मौलिक अधिकारों के नजरिए से भी सोचना होगा। लोगों को अपना व्यवसाय करने का मौलिक अधिकार है, इसे कानून द्वारा ज्ञात तरीके से छीना जाना चाहिए, न कि केवल व्याख्यात्मक प्रक्रिया से। अगर हम इस पर प्रतिबंध लगाते हैं तो हमें नहीं पता कि कितने लोग बेरोजगार हो जाएंगे।"

जब याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि प्लास्टिक के फूल 100 माइक्रोन से कम होते हैं तो न्यायालय ने टिप्पणी की कि यह कोई विशेषज्ञ निकाय नहीं है, जो यह निष्कर्ष दर्ज कर सके कि प्लास्टिक के फूल 100 माइक्रोन से कम होते हैं। इसने दोहराया कि अगर कोई वैधानिक प्रतिबंध नहीं है तो यह परमादेश रिट जारी नहीं कर सकता।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका में संशोधन करने की स्वतंत्रता मांगी। न्यायालय ने स्वतंत्रता प्रदान की और मामले को 3 सप्ताह के बाद के लिए स्थगित कर दिया।

केस टाइटल: ग्रोवर्स फ्लावर्स काउंसिल ऑफ इंडिया (GFCI) और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य (रिट याचिका नंबर 9265/2024)

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