शिकायत वापस लेने का दबाव डालने वाले बलात्कारी की हत्या मामले में महिला की सजा बॉम्बे हाईकोर्ट ने रद्द की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महिला की सजा को हत्या (मर्डर) से घटाकर "गैर-इरादतन हत्या" (Culpable Homicide Not Amounting To Murder) कर दिया, जिसने उस व्यक्ति की हत्या कर दी थी जो लगातार उस पर बलात्कार की शिकायत वापस लेने का दबाव बना रहा था।
जस्टिस उर्मिला जोशी-फाल्के और नंदेश देशपांडे की खंडपीठ (नागपुर खंडपीठ) ने वाशीम की अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा 21 दिसंबर 2005 को दिए गए फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें महिला को मदहाओ गोटे की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था।
अदालत ने नोट किया कि अपीलकर्ता महिला ने गोटे के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया था। गोटे ने शादी का वादा कर उसके साथ संबंध बनाए थे, लेकिन बाद में शादी से इनकार कर दिया। इसके बाद वह बार-बार महिला पर केस वापस लेने का दबाव डालता रहा। 22 जून 2004 को वह महिला के घर पहुंचा और फिर से शिकायत वापस लेने को कहा।
हताशा में, महिला ने उसका गला रेज़र (उस्तरा) से काट दिया और फिर खलबट्टे से सिर पर वार किया, जिससे उसकी मौत हो गई। अदालत ने यह भी नोट किया कि ट्रायल कोर्ट ने महिला द्वारा अपने पड़ोसी के सामने किए गए अतिरिक्त-न्यायिक इकबालिया बयान (extra-judicial confession) पर अत्यधिक भरोसा किया था, जिसमें उसने कहा था कि उसने गोटे की हत्या इसलिए की क्योंकि वह उसे शिकायत वापस लेने के लिए मजबूर कर रहा था।
17 अक्टूबर के अपने फैसले में खंडपीठ ने आईपीसी की धारा 300 की अपवाद 1 (Exception 1) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु किसी ऐसे कृत्य से होती है जो 'गंभीर और अचानक उकसावे' (grave and sudden provocation) के कारण आत्मसंयम खोने से हुआ हो, तो उसे हत्या नहीं माना जाएगा।
अदालत ने कहा, “उकसावा (provocation) एक बाहरी कारण है जो व्यक्ति के आत्मसंयम खोने का कारण बन सकता है। यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि उकसावा कितना गंभीर था। ऐसा उकसावा केवल किसी जल्दबाज या अति-संवेदनशील व्यक्ति को नहीं, बल्कि सामान्य स्वभाव वाले व्यक्ति को भी विचलित कर सके, तभी वह इस अपवाद के अंतर्गत आएगा।”
न्यायालय ने पाया कि मृतक बार-बार शिकायत वापस लेने के लिए महिला पर दबाव डालता था और घटना की रात भी इसी उद्देश्य से उसके घर आया था। इस वजह से महिला ने आत्मसंयम खो दिया और घर में मौजूद वस्तुओं से उस पर हमला कर दिया। अदालत ने माना कि महिला का हत्या करने का कोई पूर्व इरादा नहीं था।
खंडपीठ ने कहा, “यह स्पष्ट है कि आरोपी ने मृतक की लगातार हरकतों से आत्मसंयम खो दिया और उसी कारण उसने यह कृत्य किया। आरोपी का कृत्य धारा 300 की अपवाद 1 के तहत आता है क्योंकि यह गंभीर और अचानक उकसावे की स्थिति में बिना हत्या का इरादा किए हुआ था। इसलिए यह मामला आईपीसी की धारा 304(भाग-II) के अंतर्गत आएगा।”
इन टिप्पणियों के साथ, अदालत ने महिला की सजा को हत्या से घटाकर “गैर-इरादतन हत्या” (Section 304-II IPC) में परिवर्तित कर दिया।