बॉम्बे हाईकोर्ट ने कुंबी-मराठा को OBC दर्जा देने वाले GR को रोके जाने से किया इनकार, राज्य से मांगा जवाब

Update: 2025-10-07 11:32 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा 2 सितंबर को जारी सरकारी संकल्प (GR) को रोकने की याचिकाओं में अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया, जिसमें कुंबी, मराठा-कुंबी और कुंबी-मराठा को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल करने का निर्णय लिया गया था।

चीफ़ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंकद की डिवीजन बेंच ने हालांकि राज्य के सामाजिक न्याय विभाग को आदेश दिया कि वह इस GR के खिलाफ दायर याचिकाओं का जवाब प्रस्तुत करे।

अंतरिम राहत की तत्काल आवश्यकता के एक तर्क में कहा गया कि महाराष्ट्र में जल्द ही नगर निगम चुनाव होने वाले हैं, और जिन लोग सामान्य तौर पर पात्र नहीं हैं, वे इस GR का लाभ उठाकर आरक्षित श्रेणी की सीटों से चुनाव लड़ने के लिए प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं।

सीनियर एडवोकेट अनिल अंतुरकर ने कहा, “इससे एक अपरिवर्तनीय स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।”

याचिकाकर्ता ने अपने आवेदन के प्रार्थना खंड C के तहत इस GR के कार्यान्वयन को रोकने की मांग की।

याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि कई वर्षों तक महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित विभिन्न समितियों ने यह कहा है कि मराठाओं को कुंबी नहीं माना जा सकता और उन्हें OBC में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। यह भी बताया गया कि राज्य की पिछड़ा वर्ग आयोग ने पहले मराठाओं को कुंबी मानने से इंकार किया था।

अनिल अंतुरकर ने कहा, “राज्य इस समुदाय के लिए पीछे से दरवाजा खोलने की कोशिश कर रहा है।”

सरकार को अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए कम समय देने के अनुरोध पर जजों ने कहा कि राज्य को पर्याप्त समय न देना अनुचित होगा।

चीफ़ जस्टिस चंद्रशेखर ने कहा,

“हम याचिकाकर्ताओं के पक्ष में उठाए गए मुद्दों का विवरण नहीं देंगे और खंड C के तहत अंतरिम राहत देने से इनकार करते हैं। सभी संबंधित याचिकाओं में राज्य चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करे।”

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