पर्यूषण पर्व: तय करें कि पशु वध और मांस की बिक्री पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगाया जा सकता है या नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट ने नगर निकायों को आदेश दिया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र के सभी नगर निगमों को आदेश दिया कि वे जैन समुदाय के विभिन्न धर्मार्थ ट्रस्टों द्वारा किए गए अभ्यावेदन पर तत्काल निर्णय लें, जिसमें समुदाय के पर्यूषण पर्व के मद्देनजर पशुओं के वध और मांस की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने की मांग की गई।
चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने शेठ मोतीशॉ लालबाग जैन चैरिटीज द्वारा एडवोकेट श्रेयश शाह और उदयन मुखर्जी के माध्यम से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता और लगभग 30 अन्य जैन धर्मार्थ ट्रस्टों ने बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) और महाराष्ट्र के अन्य नागरिक निकायों को विभिन्न अभ्यावेदन दिए, जिसमें 31 अगस्त 2024 से 07 सितंबर, 2024 के बीच पर्यूषण पर्व के दौरान पशुओं के वध पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने की मांग की गई।
राज्य अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने पीठ को जून 2019 में राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के बारे में सूचित किया, जिसमें सभी नगर निगमों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि पर्यूषण पर्व के पहले और आखिरी दिन जानवरों का वध या मांस की बिक्री न हो।
वकील ने कहा,
"इसके अलावा नागरिक निकाय भी लोगों से त्योहार के अन्य दिनों में इसे मनाने का आग्रह करते हैं।"
हालांकि पीठ ने कहा कि उसे नगर निगमों को याचिकाकर्ताओं और इसी तरह के ट्रस्टों द्वारा त्योहार के दौरान पशु वध और मांस की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाले अभ्यावेदनों पर निर्णय लेने का आदेश देने में कोई बाधा नहीं मिली।
पीठ ने स्पष्ट किया,
“हम स्पष्ट करते हैं कि हमने मामले के गुण-दोष और तर्कों पर कोई टिप्पणी या अवलोकन नहीं किया। नगर निकायों को स्वतंत्र रूप से और कानून के अनुसार अभ्यावेदन पर निर्णय लेना है।"
इन टिप्पणियों के साथ पीठ ने याचिका का निपटारा कर दिया।
केस टाइटल- शेठ मोतीशॉ लालबाग जैन चैरिटीज बनाम महाराष्ट्र राज्य