प्लास्टिक के फूलों पर प्रतिबंध लगाने की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार से जवाब मांगा

Update: 2024-07-05 09:44 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र और केंद्र सरकार को सजावट और अन्य उद्देश्यों के लिए प्लास्टिक या कृत्रिम फूलों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली रिट याचिका के जवाब में अपने हलफनामे दाखिल करने का आदेश दिया।

चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ एसोसिएशन ऑफ नेचुरल फ्लावर ग्रोवर्स, पुणे द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्लास्टिक के फूलों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने की मांग की गई। इसमें कहा गया कि वे राज्य द्वारा 2022 में जारी अधिसूचना के अंतर्गत आते हैं, जिसमें एकल उपयोग के लिए सभी प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया गया।

चीफ जस्टिस ने अतिरिक्त सरकारी वकील प्रियभूषण काकड़े से पूछा,

"महाराष्ट्र सरकार द्वारा कई एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने वाली अधिसूचना में सभी वस्तुओं का उल्लेख किया गया लेकिन इन फूलों का नहीं। राज्य केवल अधिसूचना क्यों नहीं जारी कर सकता?"

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखकर याचिकाकर्ताओं द्वारा राज्य को दिए गए प्रतिनिधित्व को दोहराया।

इस पर आपत्ति जताते हुए चीफ जस्टिस ने कहा,

"पत्र लिखने के बजाय आप महाराष्ट्र गैर-जैवनिम्नीकरणीय कचरा (नियंत्रण) अधिनियम 2006 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको प्लास्टिक की वस्तु पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिसूचना जारी करने का अधिकार है।"

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए एडवोकेट असीम नफड़े ने बताया कि राज्य की 2022 की अधिसूचना में 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाली प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया गया है। उन्होंने आगे बताया कि प्लास्टिक के फूलों की मोटाई 30 माइक्रोन होती है जो पारिस्थितिकी तंत्र को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है।

अपनी दलील को पुष्ट करने के लिए नफड़े ने इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ पैकेजिंग द्वारा पारिस्थितिकी तंत्र पर ऐसे फूलों के प्रभाव पर तैयार शोध रिपोर्ट का हवाला दिया। हालांकि पीठ ने राज्य और केंद्र सरकार से चार सप्ताह के भीतर याचिका पर अपने जवाब दाखिल करने को कहा और तदनुसार सुनवाई स्थगित कर दी।

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