महाराष्ट्र सरकार द्वारा सरकारी स्कूल होने पर प्राइवेट स्कूलों को 25% RTE कोटा से छूट देने का संशोधन असंवैधानिक: हाईकोर्ट

Update: 2024-07-19 07:31 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्राइवेट गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को कक्षा 1 या प्री-स्कूल में वंचित वर्गों के बच्चों के लिए 25% कोटा प्रदान करने से छूट देने का निर्णय यदि उस प्राइवेट स्कूल के 1 किमी के दायरे में कोई सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूल है तो वह असंवैधानिक है।

राज्य सरकार ने इस वर्ष महाराष्ट्र बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार नियम 2011 में संशोधन करके यह निर्णय लिया।

चीफ जस्टिस देवेन्द्र उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने नियमों को असंवैधानिक और बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act) के विरुद्ध बताते हुए रद्द कर दिया।

RTE Act की धारा 12(1)(सी) के अनुसार, प्राइवेट और गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को कक्षा 1 में कमजोर वर्गों और वंचित समूहों के बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित करनी होंगी। उप-धारा (iii) में केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल आदि जैसे निर्दिष्ट श्रेणी के स्कूल शामिल हैं और उप-धारा (iv) में वे स्कूल शामिल हैं, जिन्हें सरकार या स्थानीय प्राधिकरण से कोई सहायता नहीं मिलती है।

6 मई को हाईकोर्ट ने अश्विनी काबले द्वारा दायर जनहित याचिका पर संशोधन पर रोक लगा दी, जिसमें तर्क दिया गया कि संशोधन संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21ए का उल्लंघन करता है। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट सहित अन्य हाईकोर्ट के मामलों का हवाला दिया, जहां इसी तरह के संशोधनों को खारिज कर दिया गया।

राज्य ने तर्क दिया कि निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को कोटे से बाहर करना पूर्ण नहीं था बल्कि केवल सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के किलोमीटर के दायरे में स्थित स्कूलों पर लागू था। यह तर्क दिया गया कि RTE Act की धारा 6 के तहत सरकार और स्थानीय अधिकारियों को स्कूल स्थापित करने के लिए बाध्य किया जाता है और महाराष्ट्र में स्कूल निर्धारित क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं। इस प्रकार प्राइवेट गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को शामिल करना आवश्यक नहीं था।

केस टाइटल - अश्विनी जितेंद्र काबले बनाम महाराष्ट्र राज्य

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