भारत में इस्लामोफोबिया बढ़ रहा है: हाईकोर्ट में सीएम एकनाथ शिंदे और BJP MLA नितेश राणे के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग को लेकर याचिका

Update: 2024-09-26 05:43 GMT

बांद्रा के निवासी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर महाराष्ट्र पुलिस को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और बीजेपी विधायक नितेश राणे के खिलाफ कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और उन लोगों का समर्थन करने या उन्हें बचाने के लिए आपराधिक मामला दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की, जो पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता - मोहम्मद वसी सईद ने स्वयंभू संत महंत रामगिरी महाराज द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों पर आपत्ति जताई। याचिकाकर्ता ने 16 अगस्त को दिए गए सीएम शिंदे के भाषण को उजागर किया, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर पुलिस से कहा है कि जब तक वह राज्य के सीएम हैं, तब तक किसी भी हिंदू संत को न छुआ जाए।

याचिका में कहा गया,

"इस तरह का बयान स्पष्ट रूप से सुचारू और निष्पक्ष जांच में बाधा और चेतावनी है।"

राणे के संबंध में याचिका में कहा गया कि वह आपराधिक गतिविधियों के लिए कुख्यात है। इसमें कहा गया कि राणे ने रामगिरी महाराज के समर्थन में अहमदनगर जिले में एक रैली भी की थी और भड़काऊ भाषण दिया था। अपने भाषण में मुसलमानों को समलैंगिक कहा गया था और यह भी धमकी दी थी कि वह खुद मस्जिदों में हर मुसलमान का शिकार करेंगे और उन्हें मार देंगे।

एडवोकेट एजाज नकवी के माध्यम से दायर याचिका में राणे और शिंदे के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) और सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत समाज में सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने और पुलिस को रामगिरी महाराज के खिलाफ कार्रवाई करने से धमकाने के लिए FIR दर्ज करने की मांग की गई।

याचिका में अधिकारियों को निर्देश देने की भी मांग की गई कि वे राणे द्वारा मुसलमानों के खिलाफ की गई रैलियों या भाषणों का सीधा प्रसारण बंद करें।

इसके अलावा याचिका में ट्विटर/एक्स यूजर्स - नुपुर शर्मा (संपादक ऑपइंडिया), रौशन सिन्हा, संजय दीक्षित, हितेश शंकर, अर्पिता सेन, एडवोकेट शहजाद पूनावाल और हिंदू जनजागृति समिति के पंडित चारुदत्त पिंगले से मिलकर बने सोशल मीडिया गिरोह का भी जिक्र किया गया, जो केवल इस्लामोफोबिया फैला रहे हैं। अपने-अपने हैंडल से आर्थिक लाभ और राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए समाज में मुसलमानों का मजाक उड़ा रहे हैं।

याचिका में कहा गया कि भारतीय संदर्भ में इस्लामोफोबिया लोकप्रिय सरकार की मदद से बढ़ रहा है, जिससे दंगे या सार्वजनिक रूप से लोगों की हत्या के कारण मौतें और हिंसा हो रही है, जिनमें से ज्यादातर पीड़ित मुसलमान या इस्लाम के अनुयायी हैं।

याचिका में कहा गया,

"किसी भी समुदाय के प्रति भय उस समुदाय के प्रति सामूहिक घृणा में बदल जाता है, जिसके बाद भीड़ द्वारा हत्याएं शुरू हो जाती हैं। अंत में उस विशेष समुदाय के खिलाफ दंगे शुरू हो जाते हैं। प्रतिवादियों की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के कारण गरीब नागरिकों को बड़े पैमाने पर घृणा, नफरत फैलाने, सांप्रदायिकता, इस्लामोफोबिया और दंगों के कारण पीड़ित होने की संभावना है। इसलिए प्रतिवादियों को जल्द से जल्द कानून के शासन का सामना करने के लिए जवाबदेह बनाया जाना चाहिए, क्योंकि इस रिकॉर्ड में देरी से अधिक से अधिक शारीरिक मानसिक नुकसान हो सकता है।"

कई प्रार्थनाओं के बीच याचिका विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर वायरल हो रही सभी इस्लामोफोबिक सामग्री को हटाने की मांग करती है।

इस मामले की सुनवाई नियत समय में होने की संभावना है।

उल्लेखनीय है कि जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे की अगुवाई वाली पीठ द्वारा याचिकाओं के एक अलग बैच पर पहले से ही विचार किया जा रहा है, जिसमें पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए रामगिरी महाराज के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। पीठ को हाल ही में सूचित किया गया कि सोशल मीडिया पर प्रसारित आपत्तिजनक वीडियो को पुलिस ने हटा दिया है।

इसके अलाव पीठ को बताया गया कि रामगिरी महाराज के खिलाफ राज्य भर में कम से कम 58 एफआईआर दर्ज की गई। इसलिए सभी एफआईआर अब सिन्नर पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दी गई, क्योंकि कथित टिप्पणियां उक्त पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में की गई थीं।

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