इंटरव्यू समिति की गलत नियुक्ति से पूरी भर्ती रद्द: बॉम्बे हाईकोर्ट

Update: 2025-10-30 10:54 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर किसी भर्ती की पूरी चयन प्रक्रिया दोषपूर्ण (tainted) पाई जाती है, तो कुछ उम्मीदवारों को चुनकर बाकी को बाहर करने की “पिक एंड चूज़” नीति नहीं अपनाई जा सकती। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इंटरव्यू समिति द्वारा अपने अधिकारों को अधीनस्थ अधिकारियों को सौंपना कानूनन अस्वीकार्य है और इससे पूरी चयन प्रक्रिया अवैध हो जाती है।

जस्टिस अनिल एस. किलोर और जस्टिस रजनीश आर. व्यास की खंडपीठ ने यह फैसला दो याचिकाओं पर सुनाते हुए दिया, जिन्हें भंडारा जिले में पुलिस पटिल पद पर चयनित उम्मीदवारों ने दायर किया था। इन याचिकाकर्ताओं ने महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (MAT) के उस निर्णय को चुनौती दी थी, जिसमें साक्षात्कार प्रक्रिया में अनियमितताओं के आधार पर उनकी नियुक्तियां रद्द की गई थीं।

भर्ती प्रक्रिया मार्च 2023 में शुरू हुई थी, जिसमें लिखित परीक्षा और मौखिक साक्षात्कार दोनों शामिल थे। याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति अप्रैल 2023 में हुई थी, लेकिन असफल उम्मीदवारों की शिकायतों के बाद अतिरिक्त कलेक्टर ने जांच की और पूरी भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी।

अदालत ने पाया कि लिखित परीक्षा तक कोई विवाद नहीं था, लेकिन साक्षात्कार के दौरान समिति की संरचना और प्रक्रिया में गंभीर खामियां थीं। 23 अगस्त 2011 के सरकारी संकल्प (Government Resolution) के अनुसार, साक्षात्कार समिति में अनिवार्य रूप से उपविभागीय अधिकारी, उपविभागीय पुलिस अधिकारी, समाज कल्याण अधिकारी, जनजाति प्रकल्प अधिकारी और तहसीलदार शामिल होने चाहिए थे। लेकिन जांच में पाया गया कि इनमें से अधिकांश सदस्यों ने अपने स्थान पर अधीनस्थ अधिकारियों — जैसे पुलिस निरीक्षक, समाज कल्याण निरीक्षक और कार्यालय अधीक्षक — को साक्षात्कार लेने के लिए भेज दिया था।

अदालत ने कहा कि यह प्रतिनिधि नियुक्ति कानून के अनुसार मान्य नहीं थी, क्योंकि नियम केवल जिला मजिस्ट्रेट को अधिकार सौंपने की अनुमति देते हैं, अन्य सदस्यों को नहीं। इसलिए पूरी चयन प्रक्रिया “दोषपूर्ण” (vitiated) मानी गई।

इसके अलावा, अदालत ने यह भी पाया कि साक्षात्कार प्रक्रिया मनमानी और असंगत थी — कुछ सदस्यों ने अंक दिए जबकि कुछ ने “स्टार सिस्टम” अपनाया। अदालत ने यह भी देखा कि अधिकांश असफल उम्मीदवारों ने लिखित परीक्षा में सफल उम्मीदवारों से अधिक अंक प्राप्त किए थे।

अदालत ने कहा —

“जब पूरी चयन प्रक्रिया भ्रष्ट या दोषपूर्ण हो, तो कुछ उम्मीदवारों को चुनकर बाकी को बाहर नहीं किया जा सकता। चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता संदिग्ध है, इसलिए पूरी प्रक्रिया रद्द की जाती है।”

इस प्रकार, अदालत ने न्यायाधिकरण के आदेश को बरकरार रखते हुए याचिकाएं खारिज कर दीं, और याचिकाकर्ताओं को चार सप्ताह की अंतरिम राहत दी।

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