बॉम्बे हाईकोर्ट ने एम्बुलेंस की आपूर्ति के लिए सरकारी निविदा में कथित अवैधताओं पर जनहित याचिका खारिज की

बॉम्बे हाईकोर्ट ने आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं और एम्बुलेंस की आपूर्ति और संचालन के लिए राज्य सरकार की निविदा प्रक्रिया में कथित अवैधताओं से संबंधित याचिका खारिज कर की।
महाराष्ट्र आपातकालीन चिकित्सा सेवा (MEMS) परियोजना 2024 नामक निविदा को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि पिछले अनुबंध को उचित औचित्य के बिना बढ़ाया गया था और बाद के अनुबंध को गैरकानूनी रूप से एक संघ को दिया गया।
निविदा प्रक्रिया में कोई अनियमितता नहीं पाते हुए चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस एमएस कार्णिक की खंडपीठ ने कहा,
“विषय निविदा महाराष्ट्र राज्य भर में 937 एम्बुलेंस के बेड़े के साथ आपातकालीन मेडिकल सेवाएं प्रदान करना है, जो सार्वजनिक हित में है। सार्वजनिक हित में परियोजना को बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ना चाहिए। ऐसे मामलों में न्यायालय का हस्तक्षेप न्यूनतम होना चाहिए। इस आधार पर भी इस जनहित याचिका में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।”
निविदा प्रक्रिया अप्रैल 2023 में शुरू हुई, लेकिन कोई बोली नहीं मिलने के कारण इसे एक साल के लिए बढ़ा दिया गया।
24 जनवरी, 2024 को सुमीत फैसिलिटीज लिमिटेड, बीवीजी इंडिया लिमिटेड और एसएसजी ट्रांसपोर्ट सैनिटेरियो के संघ ने अपनी बोली प्रस्तुत की। 15 मार्च 2024 को संघ को अनुबंध प्रदान किया गया।
न्यायालय ने पहले निविदा को चुनौती देने वाले एनसीपी-एसपी कार्यकर्ता द्वारा दायर जनहित याचिका को स्वप्रेरणा जनहित याचिका में बदल दिया और याचिकाकर्ता की भागीदारी के बिना आगे बढ़ने का फैसला किया था।
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि 937 एम्बुलेंस के बेड़े के साथ MEMS के संचालन के लिए बीवीजी इंडिया को दिया गया पिछला अनुबंध बिना उचित औचित्य के बढ़ा दिया गया।
इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि 1,756 एम्बुलेंस से संबंधित बाद का अनुबंध अवैध रूप से एक संघ को दिया गया, जिसमें वही कंपनी शामिल थी।
रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री पर विचार करते हुए न्यायालय ने पाया कि किसी भी निजी पक्ष ने निविदा प्रक्रिया को चुनौती नहीं दी और कहा कि निविदा प्रक्रिया निष्पक्ष पारदर्शी और उचित थी।
उन्होंने पाया कि इस निविदा में सुमीत फैसिलिटीज लिमिटेड की संलिप्तता को दर्शाने वाला कोई भी अभिलेख उपलब्ध नहीं है। बीवीजी इंडिया लिमिटेड के खिलाफ लंबित फोरेंसिक ऑडिट के संबंध में, इसने पाया कि केवल ऑडिट लंबित होना ही निविदा में भाग लेने से रोकने का आधार नहीं हो सकता।
एम्बुलेंस की संख्या में वृद्धि के मुद्दे पर न्यायालय ने कहा,
"अब हम जनसंख्या में वृद्धि (14% से 15%) के विपरीत एम्बुलेंस की संख्या (1756) में 87% की वृद्धि के संबंध में मुद्दे पर विचार कर रहे हैं। राज्य सरकार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कंडीशनलिटीज फ्रेमवर्क 2022-24 द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा और जनसंख्या मानदंडों के अनुसार एम्बुलेंस की संख्या बढ़ानी होगी। राज्य सरकार ने मानदंडों को ध्यान में रखा है और यह आकलन किया है कि 1529 एम्बुलेंस की आवश्यकता है।"
इसने पाया कि निविदा जनहित के लिए थी। इसलिए न्यायालय के न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने याचिका खारिज दी।
केस टाइटल: आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं के लिए अनुबंध बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य (जनहित याचिका संख्या 62/2024)