शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने पर देश वैश्विक स्तर पर शर्मिंदा हुआ: हाईकोर्ट में PWD इंजीनियरों के खिलाफ एफआईआर की मांग करने वाली याचिका
सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की 40 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा के अचानक गिरने को लेकर महाराष्ट्र सरकार के मालवान डिवीजन के लोक निर्माण विभाग (PWD) के इंजीनियरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए पूर्व पत्रकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनावरण की गई लोहे से बनी भव्य प्रतिमा 26 अगस्त को नौ महीने के भीतर ढह गई। याचिका में दावा किया गया कि सात महीने के भीतर बनी प्रतिमा के ढहने से देश को अंतरराष्ट्रीय शर्म' का सामना करना पड़ा।
इस घटना पर आपत्ति जताते हुए पूर्व पत्रकार और कार्यकर्ता केतन तिरोडकर ने आपराधिक जनहित याचिका (CRPIL) दायर की, जिसमें अधिकारियों खासकर लोक निर्माण विभाग की ओर से प्रतिमा स्थापित करने में कथित चूक को उजागर किया गया। उन्होंने दावा किया है कि प्रतिमा का निर्माण सात महीने के भीतर जल्दबाजी में किया गया।
याचिका में कहा गया कि प्रतिमा के ढहने के तुरंत बाद PWD के असिस्टेंट इंजीनियर ने प्रतिमा के डिजाइनर और संरचनात्मक सलाहकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें खुद को और अपने सहयोगियों के साथ-साथ नौसेना के इंजीनियरों को भी शामिल नहीं किया गया, जिन्होंने प्रतिमा बनाई थी।
इसमें आगे कहा गया कि तिरोडकर ने इस शरारतपूर्ण एफआईआर के बारे में मुख्यमंत्री को लिखा था लेकिन उक्त पत्र का कोई जवाब नहीं आया। याचिका में आगे आरोप लगाया गया कि राज्य अपने इंजीनियरों को बचाने की कोशिश कर रहा है, जिन्होंने मूर्ति का निर्माण किया है ठीक वैसे ही जैसे गैर-जिम्मेदार बिल्डर अवैध इमारतों या चालों का निर्माण करता है।
याचिका में कहा गया,
"मूर्ति को जून 2023 से नवंबर 2023 तक की सात महीने की छोटी अवधि में पूरा किया गया बिना हवा की गति को ध्यान में रखे, जो 45 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक है, जिसमें नमकीन तत्व हैं जो मूर्ति के निर्माण में इस्तेमाल की गई धातु को जंग लगा सकते हैं, जो कि जंग का कारण बन गया। मालवन शहर के स्थानीय लोगों ने मूर्ति में इस्तेमाल किए गए जंग लगे नट और बोल्ट को देखा था। अगस्त 2024 के पहले पखवाड़े में PWD को इसकी जीर्ण-शीर्ण स्थिति की सूचना दी थी। PWD ने डिजाइनर एजेंसी और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट को दो ईमेल लिखे और अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए इस मुद्दे पर गतिरोध बनाए रखा।”
जनहित याचिका पर उचित समय पर सुनवाई की जाएगी।