क्या बिना विज्ञापन वाले प्रोजेक्ट के लिए RERA रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है? बॉम्बे हाईकोर्ट करेगा जांच

Update: 2025-12-03 04:14 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र रियल एस्टेट अपीलेट ट्रिब्यून के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें एक बिल्डर को महाराष्ट्र में अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के दो और विंग रजिस्टर करने की ज़रूरत थी। कोर्ट ने कहा कि मुख्य मुद्दा यह है कि क्या रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट की धारा 3 के तहत रजिस्ट्रेशन तब ज़रूरी हो जाता है, जब कोई यूनिट एडवर्टाइज़ या बिक्री के लिए ऑफ़र नहीं की जाती है।

जस्टिस अरुण आर पेडनेकर ने 25 नवंबर, 2025 को यह बात फ्लेमिंगो प्रोजेक्ट के प्रमोटर गोल्डनड्रीम्स बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड की दूसरी अपील पर नोटिस जारी करते हुए कही। अपीलेट ट्रिब्यूनल के आदेश में गोल्डनड्रीम्स को “फ्लेमिंगो” प्रोजेक्ट के “B” और “C” विंग को रजिस्टर करने की ज़रूरत थी, जिसका अभी तक विज्ञापन नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि क्या ऐसा रजिस्ट्रेशन तब ज़रूरी है, जब विंग का अभी तक विज्ञापन नहीं हुआ है, इसकी जांच करने की ज़रूरत है।

कोर्ट ने पूछा,

“क्या प्रमोटर को रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016 के तहत किसी प्रोजेक्ट को रजिस्टर करना ज़रूरी है, भले ही प्रमोटर प्रोजेक्ट में यूनिट्स का विज्ञापन या बिक्री न कर रहा हो?”

कोर्ट ने गोल्डनड्रीम्स बिल्डकॉन को विंग B और C में यूनिट्स का विज्ञापन या बिक्री करने से भी रोक दिया, जब तक कि वे रजिस्टर नहीं हो जाते।

ये अपीलें सैफरन इंफ्रादेव द्वारा महारेरा में दायर की गई एक शिकायत से जुड़ी हैं, जिसमें दोनों विंग्स के रजिस्ट्रेशन या भुगतान किए गए पैसे के रिफंड की मांग की गई। महारेरा ने अगस्त 2019 में शिकायत को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि सैफरन इंफ्रादेव को अलॉटी नहीं माना जा सकता और वह फ्लेमिंगो प्रोजेक्ट का जॉइंट प्रमोटर था।

अपीलेट ट्रिब्यूनल ने बाद में अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया और धारा 59 के तहत नॉन-कम्प्लायंस के लिए पेनल्टी के साथ 60 दिनों के अंदर पूरे प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन करने का निर्देश दिया।

गोल्डनड्रीम्स बिल्डकॉन ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। प्रमोटर ने तर्क दिया कि एक्ट की धारा 3 के तहत रजिस्ट्रेशन की ज़रूरत तभी होती है, जब कोई प्रमोटर यूनिट्स का विज्ञापन करता है, उन्हें मार्केट करता है, बुक करता है, बेचता है या बेचने के लिए ऑफ़र करता है। उसने कहा कि विंग B और C के संबंध में ऐसी कोई गतिविधि नहीं हुई और ट्रिब्यूनल ने गलत तरीके से मान लिया कि पूरे प्रोजेक्ट का विज्ञापन किया गया।

बयान सुनने के बाद कोर्ट ने माना कि यह मामला कानून के बड़े सवाल खड़े करता है। इनमें यह भी शामिल है कि क्या प्रमोटर को किसी प्रोजेक्ट के बिना विज्ञापन वाले फेज़ को रजिस्टर करना चाहिए, क्या ट्रिब्यूनल ने संबंधित कमर्शियल मुकदमे में दलीलों से अलग तथ्यों पर भरोसा किया, क्या रजिस्ट्रेशन पर नतीजे गलत थे और क्या ट्रिब्यूनल ने महारेरा के आदेश को गलत ठहराए बिना उसे पलटने में गलती की।

ट्रिब्यूनल के निर्देशों पर रोक अगली सुनवाई तक लागू रहेगी, जब कोर्ट अंतरिम राहत को बदलने या रद्द करने के किसी भी अनुरोध पर भी विचार करेगा।

Case Title: Goldendreams Buildcon Pvt. Ltd. v. Saffron Infradev Pvt. Ltd.

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