बॉम्बे हाईकोर्ट ने किसान आंदोलन से नागरिकों को हो रही असुविधा पर संज्ञान लिया, आंदोलन स्थल तुंरत खाली करने का निर्देश दिया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को पूर्व विधायक ओमप्रकाश उर्फ बच्चू कडू के नेतृत्व में किसानों द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग 44 (वर्धा रोड) पर जारी विरोध प्रदर्शन के कारण नागरिकों को हुई "पीड़ा और अशांति" का स्वतः संज्ञान लिया।
नागपुर पीठ में बैठे सिंगल जज जस्टिस रजनीश व्यास ने अवकाशकालीन अदालत की अध्यक्षता करते हुए बच्चू कडू को तुरंत शांतिपूर्ण तरीके से धरना स्थल खाली करने का आदेश दिया और कहा कि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो पुलिस को कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया।
जज ने राष्ट्रीय दैनिक और स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों का संज्ञान लिया, जिसमें कडू के नेतृत्व में किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण नागरिकों को हुई असुविधा पर प्रकाश डाला गया।
समाचारों से पता चलता है कि यात्रियों को 20 किलोमीटर तक लंबा ट्रैफिक जाम झेलना पड़ा और न केवल निजी वाहन, बल्कि एम्बुलेंस और पुलिस वाहन भी नहीं चल पा रहे है। जज ने कहा कि उक्त राष्ट्रीय राजमार्ग पर न केवल नागपुर हवाई अड्डा स्थित है, बल्कि राष्ट्रीय कैंसर संस्थान तक पहुँचने के लिए भी राष्ट्रीय राजमार्ग का उपयोग करना आवश्यक है।
जस्टिस व्यास ने अपने आदेश में कहा,
"ऐसी स्थिति में न्यायपालिका की भूमिका सक्रिय होनी चाहिए, क्योंकि वह हमारे संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों की रक्षक है। साथ ही प्रदर्शनकारियों के अधिकारों की भी अनदेखी नहीं की जा सकती। तथ्य यह है कि प्रदर्शनकारियों द्वारा सार्वजनिक सड़क, विशेष रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया गया, जो निश्चित रूप से नागरिकों के भारत के किसी भी क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से आवागमन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।"
जज ने इस तथ्य को भी ध्यान में रखा कि नागपुर शहर पुलिस ने 26 अक्टूबर को पारित एक आदेश द्वारा कडू को 28 अक्टूबर को एक विशिष्ट भूमि पर विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दी थी और यह अनुमति केवल एक दिन के लिए थी।
जज ने रेखांकित किया,
"प्रथम दृष्टया, यह स्पष्ट है कि बिना किसी अनुमति के आंदोलन/विरोध अभी भी जारी है। आम जनता की समस्याएं बढ़ गई हैं। इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान लिया जा सकता है कि न केवल श्योरटेक अस्पताल, बल्कि कई स्कूल राष्ट्रीय राजमार्ग से सटे हुए हैं, बल्कि राष्ट्रीय राजमार्ग समृद्धि महामार्ग को भी जोड़ता है।"
जज ने कहा कि यह कहना पर्याप्त है कि सड़कें और सार्वजनिक पार्क मुख्यतः अन्य उद्देश्यों के लिए होते हैं और सार्वजनिक सड़कों पर अभिव्यक्ति और एकत्र होने की स्वतंत्रता के निर्बाध प्रयोग से उत्पन्न सामाजिक हित को उस सामाजिक हित के आगे झुकना चाहिए, जिसकी रक्षा के लिए निषेध और भाषण विनियमन बनाए गए।
इसलिए जज ने कडू और उनके प्रदर्शनकारियों को तुरंत धरना स्थल खाली करने और धरना समाप्त करने का आदेश दिया।
जज ने आदेश दिया,
"यदि श्री ओमप्रकाश उर्फ बच्चू कडू और प्रदर्शनकारी सड़कों और अन्य सार्वजनिक स्थानों से जहां विरोध प्रदर्शन चल रहा है, स्वयं को हटाने में विफल रहते हैं तो संबंधित क्षेत्र के पुलिस आयुक्त, संबंधित क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, राजमार्ग यातायात और अन्य सभी अधिकारियों सहित पुलिस अधिकारियों को प्रदर्शनकारियों को हटाने और यातायात को सामान्य स्थिति में लाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।"
अदालत ने अधिकारियों को गुरुवार सुबह तक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया, जिसमें यह भी निर्देश दिया गया कि यदि कोई दिव्यांग व्यक्ति, सीनियर सिटीजन, महिलाएं, बच्चे आदि अपने मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं तो उन्हें पूरे सम्मान के साथ स्थल से बेदखल या हटा दिया जाए।
Case Title: Court On Its Own Motion vs Omprakash alias Bachchu Kadu (Suo Motu PIL 9 of 2025)