बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोल्हापुर के विशालगढ़ किले में दरगाह पर बकरीद के लिए कुर्बानी देने की दी अनुमति

Update: 2025-06-04 04:57 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (3 जून) को कोल्हापुर जिले में "संरक्षित स्मारक" विशालगढ़ किले के भीतर स्थित दरगाह पर 7 जून को बकरीद के त्यौहार और 8 जून से शुरू होने वाले उर्स समारोह के लिए जानवरों और पक्षियों की कुर्बानी देने की अनुमति दी।

जस्टिस डॉ नीला गोखले और जस्टिस फिरदौस पूनीवाला की अवकाशकालीन अदालत की खंडपीठ ने कहा कि 14 जून, 2024 को एक विस्तृत आदेश जारी किया गया, जिसमें दरगाह के पास 'एक बंद और निजी क्षेत्र' में जानवरों और पक्षियों की कुर्बानी देने की अनुमति दी गई, न कि किसी 'खुले या सार्वजनिक स्थान' पर।

जजों ने कहा कि पिछले साल का आदेश इस साल भी लागू रहेगा। साथ ही इसमें लगाई गई शर्तें भी लागू रहेंगी।

खंडपीठ ने आदेश में कहा,

"इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि समन्वय पीठ ने 14 जून, 2024 को आदेश पारित किया, इस मुद्दे पर पहले ही विचार किया जा चुका है और प्रार्थना ए (पशुओं की बलि) की अनुमति दी है, यह आगामी बकरीद के त्यौहार के दौरान जारी रहेगी, जो 7 जून को है और उर्स 8 जून से 12 जून तक चलेगा। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि 14 जून के आदेश में जो शर्तें लगाई गई हैं, वही वर्तमान अंतरिम आवेदन पर भी लागू होंगी।"

जजों ने स्पष्ट किया कि यह आदेश दरगाह के श्रद्धालुओं पर भी लागू होगा, जो उक्त त्यौहारों के दौरान पशुओं की कुर्बानी देते हैं।

उन्होंने कहा,

"14 जून, 2024 के आदेश में लगाई गई शर्तों का सख्ती से पालन किया जाएगा।"

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 में हजरत पीर मलिक रेहान मीरा साहब दरगाह, विशालगढ़ ने पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशक, बॉम्बे, साथ ही पुलिस अधीक्षक, कोल्हापुर और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद, कोल्हापुर द्वारा जारी विभिन्न संचारों को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी, जिसके द्वारा विशालगढ़ में पशु और पक्षियों के वध पर प्रतिबंध लगाया गया था।

इन संचारों में कथित प्रतिबंध का औचित्य यह है कि विशालगढ़ "संरक्षित स्मारक" में पशुओं का वध किया जाता रहा है। महाराष्ट्र प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष नियम, 1962 के नियम 8 (सी) के अनुसार, संरक्षित स्मारक के परिसर में भोजन पकाने और खाने पर प्रतिबंध है। पशुओं का वध भोजन पकाने की प्रक्रिया का एक हिस्सा है। इसलिए इसे प्रतिबंधित किया गया।

अधिकारियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ द्वारा पारित 23 जुलाई, 1998 के फैसले पर भी भरोसा किया, जिसमें किसी भी सार्वजनिक स्थान पर देवी-देवताओं के नाम पर पशु-पक्षियों की कुर्बानी पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया था।

हालांकि, 14 जून, 2024 के आदेश में जस्टिस बर्गेस कोलाबावाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला रद्द कर दिया और पशुओं की कुर्बानी की अनुमति दी थी।

मंगलवार को अंतरिम आवेदन की सुनवाई के दौरान, दरगाह की ओर से पेश हुए एडवोकेट सतीश तालेकर ने बताया कि पुलिस अधिकारी शाम 5 बजे से सुबह 10 बजे के बीच लोगों को गांव में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं।

हालांकि, जस्टिस गोखले ने टिप्पणी की,

"नहीं, जून 2024 के आदेश में लगाई गई शर्तें इस साल भी लागू होंगी और उनका सख्ती से पालन करना होगा।"

जजों ने कहा कि अन्य विवाद, यदि कोई हों तो उन्हें गर्मियों की छुट्टी के बाद नियमित पीठ द्वारा निपटाया जा सकता है।

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