बॉम्बे हाईकोर्ट ने फिल्म में 'जानकी और रघुराम' शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को नोटिस जारी कर छत्तीसगढ़ की फिल्म 'जानकी' के निर्माताओं द्वारा दायर याचिका पर जवाब देने को कहा। इस फिल्म पर इसके शीर्षक और फिल्म के मुख्य कलाकारों के नामों को लेकर आपत्ति जताई गई।
निर्माताओं के अनुसार, CBFC ने फिल्म के शीर्षक 'जानकी' पर आपत्ति जताई, क्योंकि यह देवी सीता का नाम है। केंद्रीय एजेंसी ने फिल्म में मुख्य पुरुष पात्र 'रघुराम' के नाम पर भी आपत्ति जताई। यह फिल्म मुख्य किरदारों रघुराम और जानकी और उनके रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें एक्शन दृश्यों का तड़का भी है।
जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस की संदेश पाटिल की खंडपीठ ने CBFC को 6 अक्टूबर तक याचिका पर जवाब देने को कहा।
दिलेश साहू और अनुकृति चौहान अभिनीत इस फिल्म का निर्देशन कौशल उपाध्याय ने किया।
गौरतलब है कि यह फिल्म शुरू में छत्तीसगढ़ी भाषा में बनाई गई। बाद में हिंदी में रिलीज़ के लिए बनाई गई। CBFC की मंज़ूरी मिलने पर इसका ट्रेलर 16 मई, 2025 को रिलीज़ किया गया। इसके बाद निर्माताओं ने फिल्म के प्रमाणन के लिए आवेदन किया और 10 जून, 2025 को CBFC ने निर्माताओं को सूचित किया कि फिल्म सफलतापूर्वक प्रदर्शित हो गई और उसकी जांच समिति ने कुछ संशोधनों और कटौतियों के साथ "यूए 16+" प्रमाणपत्र की सिफ़ारिश की है।
विभिन्न कटौतियों और संशोधनों के अलावा, CBFC के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए निर्माताओं को फिल्म का शीर्षक और दोनों मुख्य कलाकारों 'जानकी' और 'रघुराम' के नाम बदलने के लिए कहा गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी धार्मिक या सामाजिक भावना को ठेस न पहुंचे। हालांकि, निर्माताओं ने CBFC द्वारा सुझाए गए संशोधनों पर सवाल उठाते हुए तर्क दिया कि यह उनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर हमला है।
याचिका में कहा गया,
"CBFC द्वारा 10 जून, 2025 और 15 जुलाई, 2025 के अपने नोटिसों में उठाई गई आपत्तियां मनमानी, अनुचित और कानूनन टिकने योग्य नहीं हैं। इनमें दिए गए निष्कासन और संशोधन संबंधी निर्देश ठोस तर्कों से रहित हैं और सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 या उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत इनका कोई वैधानिक आधार नहीं है। CBFC आपत्ति किए गए दृश्यों के संदर्भ और विषय-वस्तु पर विचार करने में विफल रहा है। इसके बजाय सामान्यीकृत और निराधार मान्यताओं पर निर्भर रहा है। बिना किसी औचित्य के ये आपत्तियां याचिकाकर्ता के भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत प्रदत्त वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हैं।"
निर्माताओं ने तर्क दिया कि अब फिल्म के शीर्षक या नामों में बदलाव नहीं किया जा सकता, क्योंकि इन्हें पहले ही अनुमोदित, रजिस्टर्ड और बाजार में प्रचारित किया जा चुका है। निर्माताओं के इतने स्पष्ट रुख के बावजूद, CBFC निर्माताओं को उचित जवाब देने में विफल रहा है।
याचिका में कहा गया,
"जब तक आपत्तियों को खारिज और दरकिनार नहीं किया जाता, हमें गंभीर और अपूरणीय क्षति होगी, जिसमें निर्धारित रिलीज़ तिथि का नुकसान, वितरण व्यवस्था में व्यवधान, प्रतिष्ठा और साख को नुकसान और उनकी कलात्मक स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव शामिल है, जिसकी आर्थिक रूप से पर्याप्त भरपाई नहीं की जा सकती। CBFC के निर्देश, जिनमें फिल्म के शीर्षक में ही बदलाव करने और मनमाने, निराधार और वैधानिक आधार से रहित आपत्तियां उठाने की बात कही गई, कानूनन टिक नहीं सकते। ऐसी अनुचित आपत्तियों का पालन करने से न केवल याचिकाकर्ता को गंभीर वित्तीय नुकसान होगा, बल्कि उसके रचनात्मक कार्य को भी नुकसान पहुंचेगा और फिल्म के प्रचार-प्रसार में पहले से किए गए पर्याप्त निवेश को भी नुकसान पहुंचेगा।"
निर्माताओं ने मेसर्स कॉसमॉस एंटरटेनमेंट्स बनाम क्षेत्रीय अधिकारी, CBFC (जानकी बनाम केरल फिल्म राज्य) मामले में केरल हाईकोर्ट के हालिया फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि किसी फिल्म निर्माता को शीर्षक या संवादों से 'जानकी' शब्द हटाने या बदलने के लिए मजबूर करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का असंवैधानिक उल्लंघन है।
खंडपीठ द्वारा इस मामले की आगे की सुनवाई 6 अक्टूबर को किए जाने की संभावना है।
Case Title: M/S N Mahi Films Production vs Central Board of Film Certification